Haryana Assembly Election: गुटबाजी में फंसी कांग्रेस के लिए आसान नहीं चुनावी राह

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गुटबाजी में फंसी कांग्रेस के लिए आसान नहीं चुनावी राह
Haryana Assembly Election:गुटबाजी में फंसी कांग्रेस के लिए आसान नहीं चुनावी राह

सैलजा ने चुनाव प्रचार से बनाई दूरी
सुरजेवाला कैथल तक ही सीमित
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस के अंदर जारी गुटबाजी जगजाहिर है। ऐसा लगता है कहीं इसी गुटबाजी के कारण कांग्रेस का हरियाणा विजय का सपना सिर्फ सपना ही ना रह जाए। कांग्रेस हाईकमान हरियाणा कांग्रेस में जारी गुटबाजी को खत्म करने के लिए बहुत प्रयास कर चुका है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को कई दफा एक मंच पर लाकर एकजुटता संदेश दें चुके है। लेकिन हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद से लेकर टिकट वितरण तक हुड्डा गुट को प्राथमिकता देने के कारण सैलजा गुट ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाई हुई। हुड्डा की मनमानी के चलते ही तोशाम से पूर्व कांग्रेस विधायक किरण चौधरी की बेटी को लोकसभा चुनाव में भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से टिकट नहीं मिल सकी। वहां पर भी हुड्डा खेमे के महेंद्रगढ़ से कांग्रेस विधायक रावदान सिंह को टिकट दी गई। जिसका परिणाम यह निकला की कांग्रेस की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी ने कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइंन कर ली।

वहीं भाजपा ने किरण चौधरी को पूरा मान सम्मान देते हुए राज्यसभा भेजा और किरण की बेटी श्रृति चौधरी को विस चुनाव में तोशाम से प्रत्याशी बनाया। हुड्डा की मनमानी के कारण की सैलजा विस चुनाव में अपने चहेते को टिकट दिलाने में असमर्थ रही। यहीं नहीं उकलाना से भी सैलजा अपने भतीजे को टिकट नहीं दिला पाई। वहीं राज्यसभा सांसद रणदीप सूरजेवाला को विस चुनाव लड़ने से रोकने में भी हुड्डा ने पूरा जोर लगा दिया। नतीजन रणदीप को अपने बेटे को चुनाव में उतारा पड़ा।

स्टार प्रचार लेकिन चुनाव प्रचार से दूरी

कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में शामिल है। लेकिन टिकट वितरण में हुड्डा गुट को तवज्जों देने के चलते कुमारी सैलजा चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए है। करीब 21 विधानसभा सीटें हैं, जहां कुमारी सैलजा प्रभाव रखती हैं। हरियाणा में 12 सितंबर को नामांकन के अंतिम दिन कांग्रेस ने उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की थी। तब से ही कुमारी सैलजा चुप हैं, और उन्होंने चुनावी कैंपेन से दूरी बना ली है। वही रणदीप सुरजेवाला अपने बेटे के चुनाव प्रचार तक ही सीमित को गए है। अभी तक रणदीप किसी अन्य उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए नहीं आए।

गुटबाजी के चलते ही 2019 में देखना पड़ा हार का मुंह

2019 में भी हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर थी। उस समय अशोक तंवर हरियाणा कांग्रेस के प्रधान थे। लेकिन टिकट वितरण में तंवर की एक न चली और बीच चुनाव में ही उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफ दे दिया। तंवर कांग्रेस के खिलाफ चुनाव प्रचार करने लग गए। परिणाम यह निकला की कांग्रेस मात्र 31 सीट ही जीत पाई।

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