Aaj Samaj (आज समाज), Eidgah Mosque Survey, नई दिल्ली: श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर विवाद में सुप्रीम कोर्ट से भी मुस्लिम पक्षकारों को झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 14 दिसंबर को दिए फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने इसी सप्ताह गुरुवार को अपने फैसले में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे ईदगाह परिसर का तीन अधिवक्ता आयुक्तों की टीम द्वारा सर्वे करने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी।
- मुस्लिम पक्षकारों ने हाईकोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत में दी थी चुनौती
9 जनवरी के लिए निर्धारित है मामला, उसी दिन सुनेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि यह मामला 9 जनवरी के लिए निर्धारित है और हम उसी दिन इसे सुनेंगे। श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर की 13.37 एकड़ जमीन को लेकर विवाद है और जमीन का कमिश्नर सर्वे वाराणसी की ज्ञानवापी परिसर की तरह होगा। अधिवक्ता आयुक्तों की टीम विवादित परिसर में जाकर सबूत जुटाएगी और कोर्ट को अपनी रिपोर्ट देगी।
हाईकोर्ट 18 दिसंबर को मामले पर फिर सुनवाई करेगा
हाईकोर्ट 18 दिसंबर को इस मामले पर फिर सुनवाई करेगा, जिसमें सर्वे के तरीके, सर्वे करने वाली टीम के सदस्यों के नाम, सर्वे कब होगा और सर्वे की फोटो और वीडियोग्राफी कैसे होगी? इस पर निर्देश दिए जाएंगे। वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो शाही ईदगाह मामले में आदेश पारित किया था, उस आदेश को शाही ईदगाह मस्जिद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने वर्चुअली सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने मांग की थी की इलाहाबाद हाईकोर्ट की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए।
पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर की : हिंदू पक्ष
हिंदू पक्ष का दावा है कि पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर की है और पूरी जमीन उन्हें देने की मांग कर रहा है। वहीं मुस्लिम पक्ष इस दावे से इनकार कर रहा है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद की विवादित 13.37 एकड़ जमीन के 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर है और बाकी बचे 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी है।
विवाद का इतिहास 350 साल पुराना: जानकार
जानकारों के अनुसार श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद का इतिहास 350 साल पुराना है। साल 1670 में जब दिल्ली में मुगल शासक औरंगजेब का शासन था, उसी दौरान ठाकुर केशव देव मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई गई थी। मस्जिद के निर्माण में मंदिर के ही अवशेषों का इस्तेमाल किया गया था। यही वजह है मस्जिद में सनातन धर्म के प्रतीक होने का दावा किया जा रहा है।
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