Efforts to give relief from economic package, these are big statements of Finance Minister…आर्थिक पैकेज से राहत देने का प्रयास, वित्तमंत्री के ये हैं बड़े बयान…

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नई दिल्ली। देश मेंकोरोना वायरस महामारी ने हजारों को संक्रमित कर दिया है। इसके कारण देश की अर्थव्यवस्था सुस्त हो गई है। दोबारा इसे तेजी प्रदान करनेके लिए पीएम ने बड़े राहत पैकेज का एलान किया। 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज में से तीन लाख करोड़ रुपए का कोलेट्रल फ्री ऋण एमएसएमई को दिया जायेगा । साथ ही एमएसएमईकी परिभाषा बदल दी गई। मध्यम उद्यम के कारोबार की सीमा को बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए कर दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को मीडिया केसामनेविस्तार से आर्थिक पैकेज केपहले चरण के बारे बताया। इस मौकेपर वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी मौजूद थे और बीच-बीच में वह भी इसकेबारे में जानकारी दे रहे थे। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत विभिन्न क्षेत्रों के लिए पैकेज की घोषणा की जा रही है।
1. इस अभियान के तहत एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ रुपए का कोलेट्रल फ्री ऋण देने का प्रावधान किया गया है।  इसके तहत 100 करोड़ रुपए के कारोबार वाले एमएसएमई को 25 करोड़ रुपए तक का ऋण मिलेगा।

2. इसके साथ ही एमएसएमई के परिभाषा में बदलाव किया गया है। एमएसएमई की नई परिभाषा में माइक्रो उद्यम में एक करोड़ रुपए तक का निवेश किया जा सकेगा और इसके कारोबार की सीमा पांच करोड़ रुपए होगी। इसी तरह से लघु उद्यम में 10 करोड़ रुपए का निवेश किया जा सकेगा और इसका कुल वार्षिक कारोबार 50 करोड़ रुपए का होगा। मध्यम उद्यम में 20 करोड़ रुपए तक निवेश होगा और इसका कुल कारोबार 100 करोड़ रुपए तक का होगा।

3.  एमएसएमई की मदद के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इससे ऐसे एमएसएमई को लाभ होगा जो एनपीए  है। इससे एमएसएमई को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने में मदद मिलेगी।

4. 31 जुलाई 2020 और 31 अक्टूबर 2020 तक भरे जाने वाले सभी आयकर रिटर्न की अवधि 30 नंवबर 2020 तक बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही 30 सितंबर तक भरे जाने वोल कर आडिट रिपोर्ट की अवधि भी 31 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है।

5. पांच लाख रुपए तक के सभी लंबित रिफंड जारी किय जा रहे हैं। अब तक 14 लाख से अधिक रिफंड जारी किय जा चुके है। 30 सितंबर तक की आंकलन तिथि को बढ़ाकर 31 दिसेबर 2020 और 31 मार्च 2021 तक की तिथि को बढ़ाकर 30 सितंबर 2021 कर दिया गया है।

6. सरकार ने निजी उद्यमों में काम करने वाले कर्मचारियों के हाथ में ज्यादा पैसा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अगले तीन महीने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में दिए जाने वाले अंशदान में कमी की है। कर्मचारियों के वेतन का 12 प्रतिशत ईपीएफ में जमा होता है। साथ ही नियोक्ता भी इतनी ही राशि ईपीएफ में जमा कराता है। अब निजी नियोक्ताओं और कर्मचारियों का अंशदान 12-12 प्रतिशत से घटाकर 10-10 प्रतिशत कर दिया गया है। कर्मचारी के ईपीएफ खाते में उसके वेतन के 24 प्रतिशत की बजाय 20 प्रतिशत के बराबर राशि ही जमा करानी होगी।

7. 100 कर्मचारियों तक के ऐसे संगठन जिनमें 90 प्रतिशत कर्मचारियों का वेतन 15 हजार रुपए से कम है उन्हें पूर्व में दी गई छूट की अवधि तीन महीने और बढ़ा दी गई है। पहले सरकार ने कहा था कि ऐसे संस्थानों के कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों की तरफ से दिया जाने वाला मार्च, अप्रैल और मई का अंशदान सरकार जमा कराएगी। इसकी अवधि भी अब अगस्त तक बढ़ा दी गई है। इससे 3.67 लाख उद्यमों में काम करने वाले 72.22 लाख कर्मचारी लाभांवित होंगे और अर्थव्यवस्था में 2,500 करोड़ रुपए की तरलता बढ़ेगी।

8. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और सूक्ष्म राशि के ऋण देने वाले संस्थानों (एमएफआई) के लिये मुश्किल के इस दौर में 30,000 करोड़ रुपए के विशेष नकदी योजना की घोषणा की। इस कदम का मकसद कोरोना वायरस संकट के बीच इस क्षेत्र को ऋण के जरिये मदद उपलब्ध कराना है।

9. निर्माण क्षेत्र को राहत देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सभी सरकारी एजेंसियां सभी ठेकेदारों को निर्माण और वस्तु एवं सेवा अनुबंधों को पूरा करने के लिये छह महीने की समयसीमा बढ़ाएंगी।

10. वित्त मंत्री ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) और सूक्ष्म राशि के ऋण देने वाले संस्थानों (एमएफआई) के लिये मुश्किल के इस दौर में 30,000 करोड़ रुपये के विशेष नकदी योजना की भी घोषणा की। इसके अलावा निम्न साख रखने वाले एनबीएफसी, आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) के लिये 45,000 करोड़ रुपये की आंशिक ऋण गारंटी (पार्शियल क्रेडिट गारंटी) योजना 2.0 की भी घोषणा की। इस पहल का मकसद है कि ये कंपनियां व्यक्तियों तथा एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र की इकाइयों को अधिक कर्ज दे सकें।