Efforts to boost economy, Finance Minister Nirmala’s announcements to boost exports: अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने के लिए प्रयास , निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वित्तमंत्री निर्मला ने की घोषणाएं

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नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था को फिर से तेज करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है केंद्र सरकार। अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है। जिसकी वजह से भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार में कमी आई है। लगातार वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने के लिए प्रयास कर रहीं हैं। बैंकों के विलय को लेकर अहम एलान करने के बाद केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को फिर प्रेस कांन्फ्रेंस की और महत्वपूर्ण घोषणाएं की। वित्त मंत्री ने कहा है कि मुद्रास्फिति में काफी कमी आई है, जो कि बहुत बड़ी उपलब्धि है। जहां छोटे घर खरीदारों को 45 लाख रुपये तक का घर खरीदने पर छूट मिलेगी। वहीं छोटे करदाताओं को आयकर रिटर्न फाइल करने के बाद किसी छोटी ऋुटि के लिए किसी तरह का कोई अभियोग नहीं चलेगा। इसके अलावा फंसे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए सरकार अपनी तरफ से 10 हजार करोड़ रुपये की मदद करेगी।

इस प्रेस कांन्फ्रेंस में उनके साथ अनुराग ठाकुर भी मौजूद थे। एमईआईएस 1 जनवरी 2020 से खत्म, इसकी जगह आरओडेइप्ट एक जनवरी से लागू होगा। एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए ड्यूटी में कमी का एलान किया गया है। वित्त मंत्र ने कहा कि आज हमारा फोकस निर्यात को बढ़ावा देने पर है। पुराना आरओएसएल दिसंबर 2019 तक जारी रहेगा। निर्मला ने कहा नीतिगत दर में कटौती का लाभ बैंक ग्राहकों तक बढ़ाने लगे हैं। औद्योगिक उत्पादन और स्थिर निवेश में सुधार के संकेत है। यदि 2019 के दिसंबर तक रिटर्न फाइल किया जाता है तो जुमार्ना देना ही होगा। ऐसा करने से लोग कोर्ट में जाने से बचेंगे और देरी पर निश्चित जुमार्ना देकर रिटर्न फाइल करेंगे। उन्होंने कहा कि ई असेसमेंट स्कीम दशहरे से शुरू कर दी जाएगी जिसकी घोषणा की जा रही है। इसके साथ ही असेसमेंट में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। ये आवंटन पूरी तरह से आॅटोमेटिक रखा जाएगा। सीतारमण ने कहा कि हमने पार्शल क्रेडिट गारंटी स्कीम का एलान किया जिससे बैंक अपनी संपत्ति को बढा सकें। उन्होंने कहा कि 19 सितंबर को हम सभी सरकारी बैंकों के हेड से मुलाकात करेंगे और उनकी जरूरतों के बारे में चर्चा करेंगे। पिछले एक महीने में यह वित्त मंत्री की तीसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस है। पिछले कुछ हफ्तों में हमने जिन क्षेत्रों की चिंताएं सुनी हैं वो है- इन्फ्रस्ट्रक्चर खर्च, व्यावसायियों के लिए क्रेडिट बढ़ाना, सरकार की तरफ से संचालित बैंकों की पूंजा बढ़ाना, आॅटो सेक्टर को बूस्ट करने पर ध्यान देना और क्रेडिट फ्लो बढ़ाना।