नई दिल्ली। भारत के लिए आर्थिक दृष्टि से यह समय कठिन है। आॅटो सेक्टर में भयंकर मंदी का दौर शुरू हो गया है और इसके परिणाम भी दिख रहे हैं। सोमवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आर्थिक वृद्धि इस समय की सर्वोच्च प्राथमिकता है। हर नीति निमार्ता इसे लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा कि सुस्ती के संकेतों के साथ उम्मीद से कम वृद्धि वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए प्रमुख जोखिम है। बैंकों को झटके सहने के लिए अधिक लचीला बनाया जा रहा है। रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में संशोधन सार्वजनिक बैंकों की मदद करेगा ; सरकार पर निर्भर होने के बजाए बाजार से पूंजी लेने में सक्षम बनाएगा। उन्होंने कहा कि आरबीआई बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के परस्पर संबंधों पर करीब से नजर रख रहा है। राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) की ओर से पेश सभी नियम आवास वित्त कंपनियों के लिए जारी रहेंगे; रिजर्व बैंक कुछ नियमों की समीक्षा कर रहा है। आरबीआई गवर्नर ने ज्यादा से ज्यादा बैकों के रेपो आधारित ऋण की ओर बढ़ने की उम्मीद जताई ।