आज समाज डिजिटल, यमुनानगर :
गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे देश में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसे में बाजार में छोटे से लेकर बड़े आकार के गणपति जी की मूर्तियां मिल जाती हैं। इन मूर्तियों को बहुत ही खूबसूरती से सजाया जाता है और उसके बाद लोग अपने घरों में गणपति की मूर्ति स्थापित करते हैं और उसके बाद उनकी सुविधा के अनुसार गणेश विसर्जन किया जाता है।
इको फ्रेंडली मूर्तियां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र
आपको बता दें कि पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) से बनी ज्यादातर मूर्तियां बाजार में देखने को मिलती हैं, लेकिन यमुनानगर में पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियां लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। मूर्तिकार बताते हैं कि मिट्टी को शुद्ध माना जाता है और विसर्जन के समय जहां मिट्टी की मूर्तियां नदियों को दूषित नहीं करती हैं, मिट्टी से लोगों की आस्था भी बनी हुई है।
मिट्टी से बनी मूर्तियों का दोबारा प्रयोग
मिट्टी से मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार का कहना है कि मिट्टी से बनी मूर्तियों का लोग अपने घर में ही विसर्जन कर सकते हैं और दूसरी बात विसर्जन के बाद इस मिट्टी को दोबारा घर के ही गमलों में प्रयोग किया जा सकता है और लोगों की आस्था के प्रतीक गणपति उनके घर में ही हमेशा रहेंगे। जबकि पीओपी की मूर्ति का विसर्जन करने में दो से तीन घंटे का समय लगता है और मूर्तिकार ने कहा कि पीओपी की बनी मूर्तियों का जब नदियों में विसर्जन किया जाएगा तो इससे नदियां भी दूषित होती हैं और दूसरी ओर मिट्टी से बनी मूर्तियां पानी में बहुत जल्दी घुल जाती है। हालांकि मिट्टी से बनी मूर्तियों को भी बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया गया है।
वहीं मिट्टी से बनी मूर्तियां ग्राहकों को भी काफी आकर्षित कर रही हैं और ग्राहकों का कहना है कि वह भी यही चाहते हैं कि हमारे देश की नदियां स्वच्छ रहें इसलिए मिट्टी से बनी मूर्तियां ही सबको खरीदनी चाहिए।
ये भी पढ़ें : हरियाणा के कैथल में दर्दनाक सड़क हादसा हुआ, जिसमे दो लोगो की मौत हो गई है