Ebrahim Raisi Death: ईरानी राष्ट्रपति के निधन पर भारत में आज राष्ट्रीय शोक का ऐलान

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Ebrahim Raisi Death
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी। (फाइल फोटो )

Aaj Samaj (आज समाज), Ebrahim Raisi Death, नई दिल्ली: ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन पर भारत में आज राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया गया है। देशभर की सभी सरकारी इमारतों पर आज राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। बता दें कि बीते कल रईसी व अन्य का हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था और हादसे में 7 लोगों की आकस्मिक मौत हो गई थी।

रईसी की मौत भारत के लिए भी बड़ा नुकसान

इब्राहिम रईसी का निधन भारत के लिए भी बड़ा नुकसान है। ये रईसी ही थे, जिन्होंने चीन और पाकिस्तान की ओर से दबाव डाले जाने के बावजूद चाबहार बंदरगाह भारत को सौंपने का रास्ता साफ किया। यही नहीं, ईरान के इस्लामिक देश होने के बाजवूद रईसी ने कश्मीर के मसले पर भी हमेशा भारतीय रुख का समर्थन किया।

पिछले ही हफ्ते हुआ है चाबहार बंदरगाह के प्रबंधन का समझौता

गौरतलब है कि भारत ने बीते सप्ताह ही ईरान के साथ चाबहार स्थित शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के संचालन व विकास के लिए 10 वर्ष का अनुबंध किया है। यह बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान व मध्य एशियाई देशों तक पहुंच का रास्ता देती है। चीन ने पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह पर जब से पैर जमाए हैं, तभी से भारत के लिए रणनीतिक तौर पर यह जरूरी हो गया था कि अरब सागर में भारत अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए चाबहार में मौजूद रहे।

बंदरगाह के विकास और संचालन को लेकर 2003 में सहमति पत्र पर दस्तखत

चाबहार बंदरगाह के विकास और संचालन को लेकर 2003 में पहली बार भारत-ईरान के बीच सहमति पत्र पर दस्तखत किए गए थे, लेकिन, दो दशक तक बंदरगाह से संचालन का दीर्घकालिक समझौता अलग-अलग कारणों से लटकता रहा। 2017 में भारत ने बेहेश्ती बंदरगाह पर टर्मिनल का निर्माण कर उसका संचालन शुरू कर दिया, लेकिन, दीर्घकालिक समझौता 2024 में हुआ।

समझौते को लेकरअनिश्चय में थे सर्वोच्च नेता अली खामनेई

भले ही ईरान की सत्ता और विदेश नीति सर्वोच्च नेता अली खामनेई के ही हाथों में है लेकिन रईसी जैसे उनके वफादार एक दायरे में इन नीतियों पर अपने व्यक्तित्व का प्रभाव भी डालते थे। भारतीय हितों के प्रति संवेदनशीलता रखने वाले रईसी ने इस दायरे में से रिश्ते बढ़ाने की गुंजाइश निकाली। ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामनेई भारत के साथ चाबहार समझौते को लेकर अनिश्चय की स्थिति में थे। इसी वजह से दो दशक तक ईरान के किसी भी राष्ट्रपति ने इस समझौते को आगे बढ़ाने में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई।

रईसी ने भी इस समझौते को लेकर दृढ़ता दिखाई

जब रईसी ईरान के राष्ट्रपति बने, तो ईरान मुश्किल हालात में था, जहां उसे भारत के सहयोग की जरूरत थी। यह बात भी राज नहीं है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत ईरान से तेल खरीदकर उसे जरूरी आर्थिक राहत देता रहा है। रईसी ने भी इस समझौते को लेकर दृढ़ता दिखाई और पिछले वर्ष दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रईसी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के कुछ महीने बाद ही यह समझौता अमल में आ गया।

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