21st ASEAN-India and East Asia Summit,आज समाज, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21वें आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आज लाओस की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए। विदेश रवाना होने से पहले उन्होंने आसियान देशों के साथ मजबूत संबंध और जुड़ाव बनाने का विश्वास व्यक्त किया। लाओस दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित एक जनवादी लोकतान्त्रिक गणराज्य है।
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व्यापक रणनीतिक साझेदारी में करेंगे प्रगति की समीक्षा
पीएम ने बयान जारी कर कहा, मैं आसियान नेताओं के साथ मिलकर हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी में प्रगति की समीक्षा के साथ ही हमारे सहयोग की भविष्य की दिशा तय करूंगा। उन्होंने कहा कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि की चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, भारत ने लाओ पीडीआर सहित इस क्षेत्र के साथ घनिष्ठ सांस्कृतिक व सभ्यतागत संबंध साझा किए हैं, जो बौद्ध धर्म एवं रामायण की साझा विरासत से समृद्ध हैं।
यह है बैठक का मुख्य एजेंडा
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस वर्ष एक्ट ईस्ट नीति का एक दशक पूरा कर रहा है। उन्होंने बताया कि 21वें आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का मुख्य एजेंडा भारत-इंडोनेशिया द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित है। बता दें कि पिछले साल सितंबर में मोदी ने इंडोनेशिया के जकार्ता में 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) में भी भाग लिया था।
जानें इंडोनेशिया की राजदूत का ने क्या कहा
इंडोनेशिया की राजदूत इना एच. कृष्णमूर्ति ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी को पिछले साल के प्रभावशाली 12-सूत्री एजेंडे के आधार पर आसियान-भारत संबंधों को मजबूत करने के लिए नए विचार और अवधारणाएं पेश करनी चाहिए। उन्होंने पिछले साल आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के लिए मोदी की इंडोनेशिया यात्रा का भी हवाला दिया।
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इना एच. कृष्णमूर्ति ने कहा, पीएम मोदी ने 2023 में, आसियान और भारत के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक रणनीतिक रूपरेखा का अनावरण किया। 12-सूत्री एजेंडा एक शानदार पहल थी जिसने हमारी साझेदारी की नींव रखी। शिखर सम्मेलन के दौरान, उन्होंने एक व्यापक 12-सूत्री प्रस्ताव पेश किया जिसका मकसद भारत-आसियान सहयोग को बढ़ाना था। इसमें डिजिटल परिवर्तन, कनेक्टिविटी, व्यापार और आर्थिक जुड़ाव जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर फोकस करना, करना, लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देना, समकालीन चुनौतियों का समाधान व रणनीतिक संबंधों को गहरा करना शामिल था।
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