Haryana Earthquake News: हरियाणा में महसूस किए गए भूकंप के झटके

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Haryana Earthquake News: हरियाणा में महसूस किए गए भूकंप के झटके
Haryana Earthquake News: हरियाणा में महसूस किए गए भूकंप के झटके

सोनीपत, रोहतक, गुरुग्राम, फरीदाबाद और झज्जर के बहादुरगढ़ महसूस किए गए झटके
Haryana Earthquake News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा के सोनीपत, रोहतक, गुरुग्राम, फरीदाबाद और झज्जर के बहादुरगढ़ आज फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप अलसुबह 5 बजकर 36 मिनट पर आया। जिसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4 मापी गई है।

भूकंप का केंद्र नई दिल्ली था। इसकी गहराई पांच किलोमीटर बताई गई है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने सोशल मीडिया एक्स पर इसकी जानकारी दी। भूकंप से अभी तक जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं मिली है।भूकंप के तेज झटकों से कई इलाकों में लोग घबराकर घरों से बाहर निकल आए थे।

जनवरी में भी सोनीपत में महसूस किए गए थे भूकंप के झटके

इससे पहले जनवरी महीने में हरियाणा में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप का केंद्र सोनीपत का सिसाना गांव रहा था। सुबह 3.57 बजे जमीन से 10 किलोमीटर अंदर हलचल हुई। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.0 रही थी।

25 और 26 दिसंबर 2024 2 बार आया भूकंप

उससे पहले 25 और 26 दिसंबर 2024 को भी हरियाणा में लगातार 2 दिन भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। 25 दिसंबर को दोपहर को 12 बजकर 28 मिनट 31 सेकेंड पर भूकंप आया था। इसका सेंटर सोनीपत में खरखौदा के पास कुंडल गांव में 5 किलोमीटर गहराई में रहा।

इससे रोहतक, सोनीपत, पानीपत, झज्जर और गुरुग्राम में तेज झटके महसूस किए गए थे। इस भूकंप की तीव्रता 3.5 रही। 26 दिसंबर को सुबह 9 बजकर 42 मिनट 3 सेकेंड पर भूकंप आया। भूकंप का केंद्र सोनीपत के प्रहलादपुर किडोली में स्टेडियम के नजदीक रहा। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 2.6 रही।

भूकंप से बचने के लिए क्या करें

घरों में भूकंप से बचने के लिए भूकंप रोधी पदार्थ से मकान बनाने चाहिए। 2-3 मंजिल से ज्यादा ऊंचा मकान भी नहीं बनाना चाहिए। इसके अलावा मकान बनाने से पहले मिट्टी की जांच के अलावा अन्य बातों का भी ध्यान रखना चाहिए।

इसलिए आता है भूकंप

भूकंप आने का मुख्य कारण धरती के अंदर मौजूद प्लेटों का आपस में टकराना है। धरती में 7 प्लेटें हैं, जो हमेशा घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेटें अधिक टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेटों के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेटें टूटने लगती हैं और नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं। ऐसी स्थिति में डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

ऐसे मापा जाता है केंद्र

भूकंप का केंद्र यानी एपीसेंटर उस स्थान को कहते हैं जिसके बिलकुल नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। उस स्थान पर भूकंप का कंपन अधिक होता है। कंपन की आवृत्ति जैसे-जैसे दूर होती जाती है, इसका प्रभाव घटता जाता है। फिर भी अगर रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है।

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