Early Treatment Is Very Important In Case Of Stroke : स्ट्रोक के मामले में जल्दी इलाज बेहद जरूरी, कम किया जा सकता है मौत का आंकड़ा

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Early Treatment Is Very Important In Case Of Stroke

Aaj Samaj (आज समाज),Early Treatment Is Very Important In Case Of Stroke,पानीपत : स्ट्रोक के इलाज से जुड़ी लेटेस्ट तकनीक के बारे में जनता को जागरूक करने और समय पर ट्रीटमेंट के लिए शुरुआती लक्षणों को पहचानने के लिए, उत्तर भारत के लीडिंग अस्पताल मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाग (नई दिल्ली) ने आज सोनीपत में जन जागरूकता सत्र आयोजित किया गया। इस सेशन में स्ट्रोक, इसके लक्षणों और इलाज के विकल्पों पर जानकारी दी गई।

 

दूसरे और चौथे गुरुवार को पानीपत में मरीजों को देखेंगे

इस अवसर पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाग में न्यूरोसर्जरी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर अनिल कुमार कंसल व न्यूरोलॉजी के यूनिट हेड डॉक्टर मनोज खनल मौजूद रहे। इन विशेषज्ञों ने स्ट्रोक के बाद गोल्डन पीरियड में अस्पताल पहुंचने का महत्व बताया। मैक्स अस्पताल शालीमार बाग पानीपत में ऐसा पहला और निकटतम अस्पताल है जो एक स्ट्रोक-रेडी पेशंट है, जहां स्ट्रोक के किसी भी मरीज को गोल्डन आवर्स के दौरान आसानी से लाया जा सकता है। डॉक्टर मनोज खनल हर महीने के दूसरे और चौथे गुरुवार को दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक मैक्स मेड सेंटर पानीपत में मरीजों को देखेंगे।

 

स्ट्रोक के सामान्य लक्षण

मैक्स हॉस्पिटल शालीमार बाग में न्यूरोलॉजी के यूनिट हेड व एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर मनोज खनल ने कहा, ”स्ट्रोक के सामान्य लक्षणों में सुन्नता, कमजोरी, कंफ्यूजन, बोलने में परेशानी, विजन की परेशानी, गंभीर सिरदर्द और समन्वय की समस्याएं शामिल हैं। स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है। इसमें ‘गोल्डन आवर’ काफी महत्वपूर्ण है, खासकर इस्केमिक स्ट्रोक के लिए इसकी भूमिका काफी ज्यादा है। अगर तुरंत इलाज मिलता है तो क्लॉट डिजॉल्विंग या क्लॉट रिमूवल प्रक्रिया के जरिए ब्रेन को होने वाला डैमेज कम किया जा सकता है और रिकवरी के चांस भी बेहतर हो जाते हैं। स्ट्रोक को कंट्रोल करने के लिए थ्रांबोलिटिक थेरेपी की जाती है, एंटीकोआगुलंट्स और एंटीप्लेटलेट दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है और ब्लड प्रेशर को बहुत प्रभावी ढंग से कंट्रोल किया जाता है। इसके अलावा हाइपरटेंशन, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, और एट्रियल फिब्रिलेशन के जरिए भी स्ट्रोक मैनेजमेंट किया जाता है और बार-बार स्ट्रोक होने के रिस्क को कम किया जाता है। ” मैक्स अस्पताल शालीमार बाग (नई दिल्ली) में हजारों स्ट्रोक मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है, जिससे जीवन बचाया गया है और स्थायी विकलांगता को रोका गया है।

स्ट्रोक को रोकने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव बेहद महत्वपूर्ण

मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाग में न्यूरो सर्जरी के प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉक्टर अनिल कुमार कंसल ने कहा, “भारत में स्ट्रोक केस का बड़ा बोझ है. यहां स्ट्रोक के 68.6 फीसदी केस हैं, स्ट्रोक से होने वाली मौतों का आंकड़ा 70.9 फीसदी है और 77.7 फीसदी मामलों में विकलांगता हो जाती है. स्ट्रोक मौत का दूसरा सबसे आम कारण है। भारत में हर साल लगभग 185,000 स्ट्रोक केस सामने आते हैं, जिसमें हर 40 सेकंड में एक स्ट्रोक और हर 4 मिनट में स्ट्रोक से एक मौत होती है। स्ट्रोक के मामले में सर्जरी कैसे की जाए, ये स्ट्रोक के प्रकार, गंभीरता और मरीज की हेल्थ पर निर्भर करता है. इस्केमिक स्ट्रोक के लिए थ्रोम्बेक्टोमी, हेमोरेगिक स्ट्रोक के मामले में ब्लीडिंग को रोका जाता है और टूटे हुए एन्यूरिज्म की रिपेयर की जाती है. ये सर्जरी विकलांगता को कम कर सकती हैं और रिकवरी में इससे सहायता मिलती है, लेकिन भविष्य के स्ट्रोक को रोकने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव बेहद महत्वपूर्ण है। ” मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल शालीमार बाग में 24 घंटे चलने वाला इमरजेंसी सेंटर है जिसमें स्टेट ऑफ आर्ट टेक्नोलॉजी है, बेस्ट डायग्नोस्टिक सिस्टम है और मल्टी डिसीप्लिनरी टीम है।

 

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