19th Nani A Palkhivala Memorial Lecture, (आज समाज), मुंबई: विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा है कि भारत को चुनौतियों से निपटने के लिए अपने आंतरिक विकास और आधुनिकीकरण दोनों को तेज करना होगा और साथ ही अपने बाहरी जोखिम को उसे कम करना होगा। मुंबई में आज आयोजित 19वें नानी ए पालखीवाला स्मारक व्याख्यान (19th Nani A Palkhivala Memorial Lecture) के दौरान विदेश मंत्री ने ये बातें कहीं।
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जयशंकर ने भारतीय विदेश नीति के दायरे में शामिल क्षेत्रों के व्यापक विस्तार पर भी बातचीत की। साथ ही बीते दशक में कूटनीति के प्रति भारत के दृष्टिकोण को उन्होंने रेखांकित किया। विदेश मंत्री ने बाजार साधनों और वित्तीय संस्थानों के हथियारीकरण के कारण दुनिया के सामने आने वाली चुनौती पर भी प्रकाश डाला। जयशंकर ने कहा कि भारत को ऐसी अप्रत्याशित परिस्थितियों में अपना उत्थान करना है और ऐसा करने के लिए उसे अपने आंतरिक विकास व आधुनिकीकरण दोनों को तेज करना पड़ेगा। इसके साथ ही देश को अपने बाहरी जोखिम को भी कम करना होगा।
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विदेश मंत्री ने कहा कि घर पर निरंतर सुधारों के जरिये राजनीतिक स्थिरता और समावेशी विकास सबसे अच्छा किया जा सकता है। इसका मतलब है कि विनिर्माण, खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए और साथ ही ऐसी गहरी ताकत बनानी होगी जो हमें और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाए। उन्होंने रणनीतिक स्वायत्तता का भी आह्वान किया और कहा कि भारत को महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास में पीछे नहीं रहना चाहिए।
जयशंकर ने कहा, भारत भले ही गैर-पश्चिम हो, लेकिन इसके रणनीतिक हित यह सुनिश्चित करते हैं कि यह पश्चिम विरोधी न हो। दुनिया में भारत की छवि पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, खुलेपन की परंपरा पर आगे बढ़ते हुए, हम अपनी स्थिति को विश्वबंधु, एक विश्वसनीय भागीदार और भरोसेमंद दोस्त के रूप में देखते हैं। हमारा प्रयास मित्रता को अधिकतम करना और समस्याओं को कम करना है। विदेश मंत्री ने कहा कि यह भारत के हितों को ध्यान में रखकर किया जाता है।
जयशंकर ने कहा, पिछले दशक ने दिखाया है कि कैसे कई मोर्चों पर प्रगति की जाए और बिना किसी को विशेष बनाए विविध संबंधों को आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा, ध्रुवीकृत स्थितियों ने विभाजन को पाटने की हमारी क्षमता को सामने लाया है। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि मध्यम शक्तियों के साथ संबंध विकसित करने के लिए एक सचेत प्रयास चल रहा है और इससे भारतीय कूटनीतिक प्रोफाइल का विस्तार हुआ है।
जयशंकर ने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों का फल खाड़ी, अफ्रीका और कैरिबियन सहित अन्य क्षेत्रों में दिखाई देता है। भारत के दृष्टिकोण को हम तीन पारस्परिकता, पारस्परिक सम्मान, पारस्परिक संवेदनशीलता और पारस्परिक हित के संदर्भ में बता सकते हैं। विदेश मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, सीडीआरआई, ग्लोबल साउथ समिट, जी20 प्रेसीडेंसी और कोविड टीकों की आपूर्ति के साथ भारत द्वारा उठाए गए कई कदमों को भारत की साख को मजबूत करने वाले कदमों के रूप में बताया।
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