एजेंसी,बेंगलुरु। भारत के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। भारत का ‘चंद्रयान-2 का लैंडर ‘विक्रम’ आज देर रात और शनिवार तड़के चांद की सतह पर भारत के निशान छोड़ेगा। आधी रात के बाद लैंडर चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा। गौरतलब है कि यह क्षण इसरो के वैज्ञानिकों और देश के सभी लोगों के लिए ‘दिल की धड़कनों को थमा’ देने वाला होगा। हर भारतीय इस पल यह प्रार्थना कर रहा है लैंडिंग अच्छी तरह हो जाए ताकि भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन सके। सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य राष्ट्रों की निगाहें भी इस मिशन पर टिकी हैं। शनिवार तड़के चांद की सतह पर उतरने से 15 मिनट पहले इसकी रफ्तार को कम की जाएगी। इसके 10 मिनट 30 सेकेंड के बाद जब विक्रम 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई पर होगा तो इसकी रफ्तार को 526 किलोमीटर प्रति घंटे पर किया जाएगा। सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग भारत को रूस, अमेरिका और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगी। इसके साथ ही भारत अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय लिखते हुए चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला विश्व का प्रथम देश बन जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्विज प्रतियोगिता के जरिए देशभर से चुने गए लगभग 60-70 हाईस्कूल छात्र-छात्राओं के साथ इस ऐतिहासिक लम्हे का सीधा नजारा देखने के लिए इसरो के बेंगलुरु केंद्र में मौजूद रहेंगे। लैंडर ‘विक्रम शनिवार रात एक से दो बजे के बीच चांद पर उतरने के लिए नीचे की ओर चलना शुरू करेगा और रात डेढ़ से ढाई बजे के बीच यह पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा। ‘विक्रम अभी कक्षा में चंद्र सतह से इसके निकटतम बिन्दु लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर है जहां से यह चांद की तरफ नीचे की ओर बढ़ना शुरू करेगा।
इसरो ने कहा है कि ‘चंद्रयान-2 अपने लैंडर को 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश में दो गड्ढों- ‘मैंजिनस सी और ‘सिंपेलियस एन के बीच ऊंचे मैदानी इलाके में उतारने का प्रयास करेगा। अंतरिक्ष एजेंसी के अघ्यक्ष के. सिवन ने कहा कि प्रस्तावित ‘सॉफ्ट लैंडिंग दिलों की धड़कन थाम देने वाली साबित होने जा रही है क्योंकि इसरो ने ऐसा पहले कभी नहीं किया है। यान के चांद पर उतरने की प्रक्रिया को समझाते हुए सिवन ने कहा था कि एक बार जब लगभग 30 किलोमीटर की दूरी से संबंधित प्रक्रिया शुरू होगी तो इसे पूरा होने में 15 मिनट लगेंगे। लैंडर के चांद पर उतरने के बाद इसके भीतर से रोवर ‘प्रज्ञान बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस यानी के पृथ्वी के 14 दिनों की अवधि तक अपने वैज्ञानिक कार्यों को अंजाम देगा। रोवर 27 किलोग्राम वजनी छह पहिया रोबोटिक वाहन है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस है। इसका नाम ‘प्रज्ञान है जिसका मतलब ‘बुद्धिमत्ता से है। यह ‘लैंडिंग स्थल से 500 मीटर तक की दूरी तय कर सकता है और यह अपने परिचालन के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा। यह लैंडर को जानकारी भेजेगा और लैंडर बेंगलुरु के पास ब्याललु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क को जानकारी प्रसारित करेगा। इसरो के अनुसार लैंडर में तीन वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं जो चांद की सतह और उप सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा, जबकि रोवर के साथ दो वैज्ञानिक उपकरण हैं जो चांद की सतह से संबंधित समझ में मजबूती लाने का काम करेंगे। इसरो के अनुसार चांद का दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र बेहद रुचिकर है क्योंकि यह उत्तरी ध्रुव क्षेत्र के मुकाबले काफी बड़ा है और अंधकार में डूबा रहता है। इसरो ने कहा है कि भारत के इस मिशन पर देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर की नजरें टिकी हैं। पूरी दुनिया में लोगों को भारत के इस मिशन के पूर्ण होने का उत्सुकता से इंतजार है। वहीं, नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री जेरी लिनेंजर ने कहा है कि भारत का दूसरा चंद्र मिशन न सिर्फ देश की विज्ञान और प्रौद्योगिकी को आगे ले जाने में मदद करेगा, बल्कि अंतत: चांद पर मानव की स्थायी मौजूदगी स्थापित करने में उन सभी देशों की भी मदद करेगा जो अंतरिक्ष में जाने की क्षमता रखते हैं।
Sign in
Welcome! Log into your account
Forgot your password? Get help
Password recovery
Recover your password
A password will be e-mailed to you.