ई-सिगरेट से बढ़ती है ब्लड क्लॉटिंग, हार्ट अटैक का भी खतरा

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स्मोकिंग की लत छोड़ने के लिए कई लोग अपना रुख ई-सिगरेट तरफ कर लेते हैं। उनका मानना होता है कि इससे हमारी स्मोकिंग की तलब मिट जाएगी और सेहत को भी नुकसान नहीं होगा। दरअसल, ई-सिगरेट एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम है। इसमें मौजूद निकोटिन लिक्विड जलता नहीं है, इसलिए धुआं नहीं निकलता. इस घोल से वाष्प उत्सर्जित होती है, जिसे सांस के अंदर खींच कर लोगों को स्मोकिंग करने जैसी फील आती है। लेकिन ऐसा करने वाले लोग सावधान हो जाएं।

एक रिसर्च में बताया गया है कि इस तरह से लिया जाने वाला निकोटिन तुरंत ही रक्त का थक्का यानी ब्लड क्लॉट बनने की गति को तेज कर देता है। साथ ही इससे छोटी धमनियों के फैलने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे हार्ट की स्पीड और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। निकोटिन से शरीर में एड्रिनैलिन जैसे हार्मोन्स का लेवल भी बढ़ जाता है और यह भी ब्लड क्लॉटिंग बढ़ा देता है।

स्टडी में क्या निकला

यह रिसर्च बीते यूरोपियन रेस्पिरेटरी सोसाइटी इंटरनेशनल कांग्रेस में प्रस्तुत की गई। स्वीडन के स्टॉकहोम स्थित करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स ने 18 से 45 साल वर्ग के 22 ऐसे पुरुषों और महिलाओं के ग्रुप का अध्ययन किया, जो कभी कभार स्मोकिंग करते थे, लेकिन स्वस्थ थे। लेकिन निकोटिन वाली ई-सिगरेट के यूज के बाद उनमें तत्काल ही शॉर्ट टर्म बदलाव पाए गए। हेलसिंगबर्ग अस्पताल की डॉक्टर और करोलिंस्का इंस्टिट्यूट की शोधकर्ता गुस्ताफ लियटिनेन ने कहा कि हमारी स्टडी बताती है कि निकोटिन वाली ई-सिगरेट के इस्तेमाल का असर पारंपरिक सिगरेट पीने जैसा ही होता है।

हार्ट अटैक-स्ट्रोक का खतरा

हम ये जानते हैं कि लंबे समय तक इस प्रकार के प्रभाव से धमनियां सिकुड़ या बंद हो जाती है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। इसलिए जरूरी है कि ई-सिगरेट के खतरे से वाकिफ और सतर्क रहें।