Aaj Samaj (आज समाज), Dushera Fesivalm In Karnal , करनाल,23 अक्टूबर, इशिका ठाकुर : कालांतर से भारत में दशहरा पर्व बड़े ही हर्षोल्लाह और धूमधाम से मनाया जाता है इस पर्व को धर्म की अधर्म पर जीत के रूप में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम द्वारा किए गए समाज हित के कार्यों को विजय दिवस भी कहा जाता है। इस पर्व के अवसर पर हर वर्ष रावण के अहंकार का पुतले के रूप में दहन किया जाता है। रावण के अहंकार के इस पुतले को आकर्षक बनाने के लिए पुतले का निर्माण करने वाले कलाकार हर वर्ष नई-नई तकनीक अपना कर पुतले का निर्माण करते हैं।
इस बार करनाल में भी रावण के अहंकार के पुतले का दहन खास प्रकार से होने वाला है। इस बार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जैसे ही रावण के पुतले पर अग्निबाण का वार करेंगे तो रावण की आंखों और मुंह से पुतलों में लगाई गई आतिशबाजी के द्वारा आग की लपटें उठेगी। इतना ही नहीं इस बार रावण के अहंकार के पुतले का मुकुट भी आग उगलेगा।
करनाल के नमस्ते चौक के नज़दीक सेक्टर 4 स्थित दशहरा मैदान में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने की उम्मीद है जिसको लेकर दशहरा मैदान में सभी तैयारियां की गई हैं। करनाल में दशहरा पर्व पिछले लगभग 120 साल से मनाया जा रहा है। दशहरा पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है इस अवसर पर मेले के रूप में छोटी-छोटी खाने-पीने तथा खेल खिलौने की दुकान भी सजाई गई है जिन को लेकर महिला, पुरुष तथा विशेष कर बच्चों में काफी उत्साह है। दशहरे के इस पर्व का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी यह पर्व बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। इस पर्व को लोग एक दूसरे के साथ मिलजुल कर हर्षोल्लास के साथ मानते हैं।
दशहरा पर्व पर बाजारों में स्थानीय व्यापारी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए विशेष छूट कब ऑफर रखते हैं ताकि लोग बाजार में ज्यादा से ज्यादा खरीदारी करें तथा बाजार में एक अच्छा व्यापारिक माहौल बन सके।
रावण और उसके कुनबे के पुतलों के निर्माण का कार्य उत्तर प्रदेश के कस्बा गंगोह के रहने वाले अरशद व अमजद किया गया है। पुतलों का निर्माण कार्य कर रहे अरशद ने जानकारी देते हुए बताया की इस कार्यों को उनका परिवार बाप दादा से करता चला आ रहा है और खुद उन्हें इस कार्य को करते हुए लगभग 20 साल हो गए हैं पुतलों के निर्माण का कार्य उनके परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है। उन्होंने बताया कि करनाल के साथ-साथ नीलोखेड़ी तरावड़ी आदि करनाल के अन्य गांवों तथा कस्बों से भी रावण तथा उसके परिवार के पुतले बनाने का कार्य उनके द्वारा किया जा रहा है। इस बार करनाल में पुतलों के निर्माण का कार्य वह पिछले 40 दिनों से कर रहे हैं।
रावण मेघनाथ तथा कुंभकरण के पुतले के साथ-साथ लंका का भी निर्माण कार्य किया गया है। अबकी बार रावण के पुतले की ऊंचाई लगभग 65 फुट तथा मेघनाथ वह कुंभकरण के पुतले की ऊंचाई लगभग 55 फुट रखी गई है जबकि पहले इनकी ऊंचाई लगभग 40 फुट होती थी। लंका का साइज 22×15 फुट रखा गया है। इन पुतलों का दहन मंच से रिमोट के माध्यम से किया जाएगा।
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