नियुक्तियां को लेकर सरकार ने एडवोकेट जनरल से मांगी राय
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा में तीसरी बार भाजपा सरकार को सत्ता संभाले हुए 6 माह से भी अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी तक सरकार कई अहम संवैधानिक पदों पर नियुक्तियां नहीं कर पाई। नियुक्तियों के लटकने का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष का न होना है। हरियाणा में गत वर्ष अक्टूबर में भाजपा सरकार का गठन हो गया था, लेकिन कांग्रेस आज तक भी नेता प्रतिपक्ष नहीं चुन पाई है। नेता प्रतिपक्ष के न होने के कारण कई अहम संवैधानिक पदों पर नियुक्ति अटकी हुई है।
अब सरकार ने एडवोकेट जनरल के पास से राय मांगी है। ताकि नेता प्रतिपक्ष के नियम को बाइपास कर नियुक्तियां कर सके। सीएम नायब सैनी ने भी इसकी पुष्टि की। भाजपा सरकार इस मामले में झारखंड के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी आधार बनाने की तैयारी में है ताकि कांग्रेस के संकट से खुद बचकर काम कर सके। वहीं कांग्रेस हाईकमान का फोकस नेता प्रतिपक्ष बनाने की जगह संगठन पर है। ऐसे में इसमें अभी और टाइम लग सकता है।
एक मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के पदों पर नियुक्तियां अटकी
प्रदेश में अभी जगबीर सिंह, प्रदीप कुमार शेखावत और कुलबीर छिकारा, 3 ही सूचना आयुक्त हैं। सरकार को 7 सूचना आयुक्त और एक मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति करनी है। सूचना आयुक्त न होने से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अपील और शिकायतें लंबित हो रही हैं। इनकी गिनती 7200 से ज्यादा हो चुकी है। ऐसे में आरटीआई के जरिए सूचना मांगने वाले लोगों को भी परेशानी हो रही है।
तीन मेंबरी कमेटी करती है नियुक्ति, नेता प्रतिपक्ष होना जरूरी
राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनी तीन मेंबरी कमेटी ही करेगी। इस कमेटी में सीएम और एक मंत्री के अलावा नेता प्रतिपक्ष होना जरूरी है। यह व्यवस्था इसलिए की गई ताकि संवैधानिक पदों पर नियुक्ति में विश्वसनीयता बनी रहे।
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