उच्च तापमान व पानी की कमी से रेतीले क्षेत्र की फल, सब्जियां हुई खराब

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Due to high temperature and lack of water, fruits, vegetables of the sandy area got spoiled.

आज समाज डिजिटल,बाढड़ा:

पिछले एक माह से वातावरण में लगातार उच्च तापमान व बिजली आपूर्ति संकट से बाढड़ा उपमंडल क्षेत्र में बोई गई तरबूज, टमाटर, मिर्च व ककड़ी की लगभग तीन सौ एकड़ में बोई गई फल सब्जी तबाह हो गई है। रेतीले क्षेत्र में महंगे खाद बीज व कीटनाशक इस्तेमाल कर बोई जाने वाली इन फल सब्जियों का पच्चास फिसदी से भी कम तापामन होने से अन्नदाताओं के होश फाख्ता हो गए हैं। पिछले लाकडाऊन में अच्छे भाव पाने वाले सब्जी उत्पादकों के लिए मौजूदा सीजन बहुत ही दुर्भाग्यशाली साबित हो रहा है जिससे किसानों ने जिला प्रशासन से प्रभावित रकबे की स्पेशल रिपोर्ट तैयार करवाने की मांग की।

 

तरबूज, मिर्च टमाटर ककड़ी के तीन सौ एकड़ में बोए बेल, पौद्ये झुलसने से उत्पादन गिरा, किसानों को लगा बड़ा झटका

प्रदेश के दक्षिणी क्षेत्र में पहले बरसात पर निर्भर रबी सीजन में चना व सरसों तथा खरीफ सीजन में बाजरा, ग्वार की फसलें बिजाई की जाती थी लेकिन नब्बे के दशक के बाद बिजली आपूर्ति से संचालित कुंओं के निर्माण के साथ आई स्पिंक्रलर सिस्टम ने किसानों के जीवन में नई हरीत क्रांति लाने का काम किया जिससे यहां पर कपास व गेहूं जैसी फसलें आई और किसान को आर्थिक सौगात मिली। लगभग तीस साल तक लगातार इन फसलों के उत्पादन के बाद अब भूमि की गुणवता में आए बदलाव से किसानों ने परंपरागत फसलों से परहेज रखते हुए सीजनी फल सब्जियों के उत्पादन पर जोर देना आरंभ कर दिया है। पिछले दो बार के लाकडाऊन में क्षेत्र के किसानों द्वारा उत्पादित की गई प्याज, टमाटर, मिर्च तरबूज, भिंडी, घीया, ककड़ी, भिंडी की सब्जियों का पूरा भाव मिला जिससे किसानों ने सरकार की योजनाओं में शामिल होते हुए तीसरी बार भी इन्हीं सब्जियों की बिजाई की लेकिन प्रकृति व सरकार की मार के कारण यह सीजन बहुत ही खराबे व घाटे वाला साबित हो रहा है क्योंकी प्रकृति व सरकार दोनों ही हमसे रुठी रही। पिछले एक माह से वातावरण में दिनरात उच्च तापमान रहने व बिजली आपूर्ति में कमी से सिंचाई के लिए पानी न मिलने से क्षेत्र के गांव हड़ोदी, बिलावल, रुदड़ौल, माई कलां, माई खुर्द,नोरंगाबास, बडराई, कादमा, दगड़ौली इत्यादि में बड़े रकबे में बोई गई तरबूज, हरी मिर्च, टमाटर, प्याज, ककड़ी के बेल व पौद्ये पूरी तरह झुलस गए हैं तथा किसानों की उम्मीद से पच्चास फिसदी कम उत्पादन होने से किसानों को बहुत बड़ा नुकसान होने की संभावना है।

 

पहले बड़े शहरों में भेजकर मुनाफा कमाते थे, अब गांवों में औने पौने दामों में बेचने को मजबूर

डालावास निवासी रामरतन, किसान संजय श्योराण हड़ौदी, गुणपाल कादयान दगड़ौली, सरपंच धर्मबीर बडराई इत्यादि ने बताया कि बेल या सब्जी वाले पौद्यों को कम गर्मी व ज्यादा पानी की जरुरत होती है। उनके खेतों में उत्पादित फल व सब्जियों की पहले महेन्द्रगढ, भिवानी, दादरी, लोहारु समेत राजगढ तक की मंडियों में बड़ी डिमांड रहती थी और मनमाने भाव भी मिलते रहे हैं लेकिन अब की बार अप्रैल माह में ही तेज बर्मी की आवक व बिजली आपूर्ति न होने के कारण समय समय पर सिंचाई व्यवस्था लडख़ड़ाने से उत्पादन में पच्चास फिसदी तक गिरावट आ गई है इसीलिए मंडियों में भेजने की बजाए साथ लगते गांवों में ही औने पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं। अब मुनाफा तो दूर बल्कि लागत व मेहनत के पूरा करना भी मुश्किल हो गया है। पीडि़त किसानों ने सरकार से कृषि विशेषज्ञों की टीम को भेजकर प्रभावित क्षेत्र की रिपोर्ट तैयार करवा कर बिजली संकट व तेज गर्मी से खराबे की भेंट चढी फसलों के नुकसान की भरपाई करवानी चाहिए।

किसानों की सुध लेना जरुरी

किसान सभा अध्यक्ष मा. रघबीर श्योराण व पूर्व खंड कृषि अधिकारी डा. रणबीर सिंह मान ने कहा कि पहले के मुकाबले आज तेल लोहा व अंतरराष्ट्रीय मार्केट में खाद बीज तैयार होने वाले पदार्थो की बढती लागत के बाद पैदा हुई मूल्यवृद्धि के कारण मौजूदा समय में सामान्य तरीके की खेतीबाड़ी करना भी बहुत ही महंगा साबित हो रहा है। इसके अलावा फल, सब्जियों की खेती में तो बहुत ज्यादा खर्च आ रहा है लेकिन अबकी बार तो तापमान ज्यादा होने व बिजली कटों के कारण समय पर सिंचाई न होने से आधा उत्पादन हुआ है। सरकार को किसानों को उन फसलों की बिजाई के लिए जा$गृत करना चाहिए जो कम पानी में भी संभव है वहीं सब्जियों के लिए सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा मेें पानी उपलब्ध करवाना चाहिए।

 

 

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