अंधविश्वास में हो रहा पेयजल दूषित: डॉ. जसमेर : Drinking Water Is Getting Polluted

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संजीव कौशिक, रोहतक:
Drinking Water Is Getting Polluted : हमारे पेयजल का सबसे बड़ा स्रोत नहरें हैं। कुएं और जोहड़ सूख चुके हैं। पेयजलदायिनी नहरों के पानी को अंधविश्वास के चलते विभिन्न प्रकार का सामान या अघुलनशील पदार्थ डालकर प्रदूषित किया जा रहा है। इसे नहीं रोका गया तो हमारा पेयजल सिर्फ बीमारियां देने वाला बन जाएगा।

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सुनो नहरों की पुकार चल रहा अभियान

उक्त विचार सुनो नहरों की पुकार मिशन के संयोजक डॉ. जसमेर सिंह ने व्यक्त किए। वे सोनीपत के मलहाना में टीकाराम गर्ल्स कॉलेज के सात दिवसीय एनएसएस कैंप के चौथे दिन वॉलिंटियर्स को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान मिशन से जुड़े पर्यावरणविद दीपक छारा व साइकिलिस्ट मुकेश नानकवाल छात्राओं को संबोधित करने के लिए साइकिल से महलाना गांव के राजकीय स्कूल में पहुंचे और पर्यावरण बचाने का संदेश दिया। छात्राओं ने गांव में रैली निकालकर लोगों को प्रदूषण रहित पेयजल रखने और पानी बचाने का आह्वान किया और मलहाना गांव की नहरों पर खड़े होकर स्वच्छता अभियान भी चलाया।

नहरों में प्रदूषण न फैलाने का अनुरोध

डॉ. जसमेर सिंह ने कहा कि नहरों के पानी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए उनकी टीम ने पिछले चार माह से ज्यादा समय से अभियान चलाया हुआ है। इसमें वे नहरों पर खड़े होकर जागरूक करते हैं कि नहरों में कुछ भी सामान न डालें। उन्होंने बताया कि आज हमारी नहरों के पानी में अंधविश्वास के चलते 60 से 70 तरह की घुलनशील व अघुलनशील चीजें डाली जा रही हैं। जिससे इन पदार्थों से कई प्रकार का कैमिकल हमारे पेयजल में मिलकर उसे प्रदूषित कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज कई प्रकार की पेयजल जनित बीमारियां इसी कारण पनप रही हैं।

प्लास्टिक की थैलियां फैला रहीं प्रदूषण

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उन्होंने बताया कि हमारी टीम ने पाया कि लोग प्लास्टिक की थैलियों में भरकर विभिन्न प्रकार की मूर्तियां, नारियल, पूजा पाठ का सामान, प्लास्टिक, विभिन्न तरह के बर्तन, पैकिंग बॉक्स, पैकिंग की थैलियां, मिष्ठान, कपड़ा के अलावा कई प्रकार की सामग्री नहरों में डाली जाती है। इसके अलावा अन्य अपशिष्ट सामग्री भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि इस जहरीले पानी से हम सभी को बीमारी न फैले इसे सबसे पहले इस पानी को को दूषित होने से बचाना होगा।

पेड़ों के महत्व को जाने लोग

पर्यावरणविद एवं शिक्षक दीपक छारा ने बताया कि जीवन में पेड़ों का बहुत महत्व है। ये हमें जीवन जीने के लिए वातावरण से कार्बन डाई आक्साइड को ग्रहण करके हमें आक्सीजन प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि पेड़ ही हमारे जीवन को खुशहाल और प्रकृति को हराभरा बनाकर रखते हैं। पेड़ हमें सिर्फ आक्सीजन ही नहीं देते, साथ ही हमें ये छाया, फल और सभी पक्षियों को घर भी देते हैं। उन्होंने प्ररेणा गीत के माध्यम से छात्राओं में जोश भरते हुए पेड़ काटने से बचाने और ज्यादा से ज्यादा लगाने का आह्वान किया।

रक्तदान के लिए भी प्रेरित किया

समाजसेवी एवं रक्तवीर अजय हुड्डा ने बताया कि रक्तदान करने से किसी अनजान की भी जान बचाई जा सकती है। यदि हर व्यक्ति तीन महीने में एक बार रक्तदान करें, तो किसी की जान रक्त की कमी में नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि विशेष अवसर पर लोग रक्तदान जरूर करें। इस अवसर पर टीकाराम गर्ल्स कॉलेज से एनएसएस की कार्यक्रम अधिकारी एवं सहायक प्रोफेसर डॉ. उपासना, डॉ. पूनम, दीपक छारा, मुकेश नानकवाल, अजय हुड्डा सहित सभी वालिंटियर्स उपस्थित थे।

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