Aaj Samaj (आज समाज), Agriculture Department Karnal,करनाल,इशिका ठाकुर : हरियाणा में बड़े स्तर पर धान की खेती की जाती है, और हरियाणा का चावल भारत ही नहीं विदेशों में भी काफी लोकप्रिय है. क्योंकि हरियाणा में धान की कई किस्म लगाई जाती है जिससे किसान अच्छी पैदावार लेकर उन्नत बनते हैं, 2009 से पहले किसान धान की दो खेती करते थे, पहले गेहूं कटाई के तुरंत बाद धान की आगेती (सठी) रोपाई की जाती थी और इसके कटाई के बाद एक बार फिर से धान की रोपाई की जाती थी ।
जिसे एक समय में वह दोगुना मुनाफा लेते थे, लेकिन हरियाणा के कई ब्लॉक में भूमिगत जलस्तर कम होने के चलते 2009 में हरियाणा सरकार के द्वारा एक एक्ट लेकर आया गया जिसमें समय से पहले धान की रोपाई नहीं की जाती। अगर कोई किसान ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कृषि विभाग के द्वारा नियम अनुसार कार्रवाई की जाती है और जुर्माना लगाया जाता है। यह एक्ट इसलिए लाया गया था ताकि भूमिगत जलस्तर को बचाने के लिए किसान धान की केवल एक ही खेती करें।
डॉ वजीर सिंह जिला कृषि उपनिदेशक करनाल ने बताया कि भूमिगत जल स्तर को ज्यादा नीचे जाने से बचने के लिए हरियाणा सरकार के द्वारा हरियाणा उप मृदा जल संरक्षण अधिनियम (Haryana Preservation of Sub Soil Water Act- 2009) बनाया गया था जिसके बाद से अगर कोई भी किसान हरियाणा में धान की समय से पहले रोपाई करता है तो उसके खिलाफ नियम अनुसार कार्रवाई की जाती है।
जिला कृषि उपनिदेशक ने बताया कि यह एक्ट किसानों को 15 मई से पहले धान की नर्सरी लगाने और 15 जून से पहले धान की रोपाई करने से रोकता है ताकि जल स्तर में कमी को रोका जा सके. इस एक्ट में हरियाणा में धान की नर्सरी लगाने का समय 15 मई निर्धारित किया गया है जबकि धान रोपाई का समय 15 जून निर्धारित किया गया है। जो धान की डीएसआर तकनीक से सीधी बिजाई करते हैं उनके लिए धान बिजाई का समय 25 मई निर्धारित किया गया है अगर कोई भी किसान भाई इस समय से पहले धान की बिजाई करता है तो उसके खिलाफ इस एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है जिस पर प्रति हेक्टेयर ₹10000 का जुर्माना लगाया जाता है।
हालांकि पिछले वर्ष ऐसे कोई मामले सामने नहीं आए थे जिसमें किसानों ने समय से पहले धान की रोपाई की हुई थी और इस बार अभी से एक ऐसा मामला सामने आ चुका है जिसमें किसान ने धान की सीधी बिजाई की थी। लेकिन इस बार किसानों के द्वारा लगाई गई धान को नष्ट कर दिया गया हालांकि उनके ऊपर किसी भी प्रकार का कोई जुर्माना नहीं लगाया गया, उनको चेतावनी देकर छोड़ दिया गया लेकिन अगर भविष्य में कोई किसान भाई समय से पहले धान की रोपाई करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. पिछले वर्ष इस प्रकार का कोई भी मामला सामने नहीं आया था।
उन्होंने बताया कि अगर किस समय से पहले धान की रोपाई करता है तो उसमें 1 किलो चावल पैदा करने के लिए 3500 लीटर पानी की खपत होती है जबकि अगर समय पर वह धान की रोपाई करता है तो उसमें एक किलोग्राम चावल पैदा करने में 1500 लीटर पानी की खपत होती है। इस एक्ट के तहत हम धान की फसल में एक तिहाई पानी समय पर बजाई करके बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि करनाल सहित पूरे हरियाणा में सभी किसानों को इसके लिए जागरूक भी किया जाता है ताकि किसान समझे कि किस प्रकार से हमें भविष्य के लिए भूमिगत जल स्तर को बचाना है ।
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