Dr. Randeep Guleria: भविष्य में हम जीका वायरस और मंकीपाक्स जैसे और प्रकोप देखेंगे

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Dr. Randeep Guleria: भविष्य में हम जीका वायरस और मंकीपाक्स जैसे और भी प्रकोप देखेंगे
मेदांता में इंस्टीट्यूट आफ इंटरनल मेडिसिन रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन और एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया।

Former AIIMS Director Dr. Randeep Guleria, (आज समाज), नई दिल्ली: एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि आने वाले समय में हम जीका वायरस और मंकीपाक्स जैसे और भी प्रकोप देखेंगे। ऐसे में हमें अभी ऐसे खतरों से लड़ने के लिए तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने जीका वायरस को भी चिंता का विषय बताया। साथ ही टीबी का भी जिक्र किया।

टीबी के मामले में भारत ज्यादा खतरे वाले देशों में शामिल

मेदांता में इंस्टीट्यूट आफ इंटरनल मेडिसिन रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन डॉ. रणदीप गुलेरिया ने एक खास बातचीत में कहा कि जहां तक टीबी का सवाल है, भारत ज्यादा खतरे वाले देशों में से एक है। इसे लेकर निजी और सरकारी क्षेत्र में बहुत सारे काम किए गए हैं। डॉ. गुलेरिया ने बताया कि टीबी के टीकों पर कई परीक्षण किए गए हैं और उम्मीद है कि जल्द हमारे पास एक टीका होगा। नए और बेहतर उपचार पद्धतियों को खोजने के प्रयास चल रहे हैं, इसलिए सक्रिय रूप से इस पर काम करते रहने की आवश्यकता है। खासकर टीबी की दवा को लेकर तो बहुत ही सक्रियता से काम करने की जरूरत है।

पिछले 24 वर्षों में बड़ी संख्या में प्रकोप देखे

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि इस सदी के पिछले 24 वर्षों में हमने बड़ी संख्या में प्रकोप देखे हैं। इनमें कोरोना महामारी व सार्स, जैसी दो महामारियां और एच1एन1 शामिल हैं। उन्होंने कहा, हमारे पास अब जीका वायरस और मंकीपॉक्स जैसे अन्य प्रकोप हैं। ये सभी जानवरों या पक्षियों की प्रजातियों के वायरस हैं और अब ये मनुष्यों में आने लगे हैं। इसलिए यह समझने की जरूरत है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण को हो रहे नुकसान की वजह से हम इस तरह के और अधिक प्रकोप देखने जा रहे हैं।

सक्रिय निगरानी की जरूरत

एम्स के पूर्व निदेशक ने इस बात पर दिया कि ऐसे मामलों की सक्रिय निगरानी जरूरी है। तभी इससे बचने के उपाय तैयार किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, हमने ऐसा तब किया था, जब केरल में निपाह वायरस का प्रकोप हुआ था। हमें इसे राष्ट्रीय स्तर पर करना चाहिए। हमारे पास इस पर काबू पाने, इसे खत्म करने और इसे ठीक करने के लिए काम करने वाली एक टीम तैयार है। निश्चित रूप से इन नए संक्रमणों के लिए दवा से लेकर टीकों तक के अनुसंधान पर बहुत ज्यादा फोकस किया जाना चाहिए।