- महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि पर उनको पुष्पांजलि अर्पित कर याद किया गया
Aaj Samaj (आज समाज), पानीपत : भारतीय जनता पार्टी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय मीडिया सह प्रमुख डा. राजबीर आर्य ने कहा है कि महात्मा ज्योतिबा फुले सामाजिक न्याय एवं महिला उत्थान के सबसे बड़े पैरोकार थे। आज महात्मा ज्योतिबा फुले जन कल्याण समिति द्वारा ऊझा रोड़ स्थित एके पब्लिक स्कूल में महात्मा फूले की पुण्य तिथि पर आयोजित कार्यक्रम में पुष्पांजलि अर्पित करते हुए डा. आर्य ने कहा कि इतिहास के पन्ने पलटें तो सामाजिक न्याय की लंबी लड़ाई लड़ने वालों में महात्मा बुद्ध, ईवी रामासामी पेरियार से लेकर आंबेडकर तक का नाम लिया जा सकता है।
वहीं, जब सामाजिक न्याय के साथ नारीवाद की बात की जाए तो ज्योतिबा फुले का नाम सबसे पहले लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महान क्रांतिकारी, लेखक, चिंतक, शिक्षाविद, नारीवादी और सामाजिक न्याय के पुरोधा ज्योतिबा फुले 19वीं सदी के महान समाज सुधारकों में शुमार हैं। उनके जीवन दर्शन में किसानों की चिंता, महिलाओं की शिक्षा और सामाजिक न्याय को पाने की ललक स्पष्ट दिखाई पड़ती है। अहम बात यह है कि उन्होंने समाज में व्याप्त बुराइयों को न केवल उजागर किया, बल्कि उचित समाधान भी खोजा और काफी हद तक कामयाब भी रहे।
विद्यालय के प्रिंसिपल डा. रणधीर सैनी ने अपने संबोधन में कहा कि जिस समय में महिलाओं को पढ़ाना पाप समझा जाता था ऐसे समय में महात्मा फुले द्वारा हर कष्ट सहन करके भी कन्याओं के लिए स्कूल खोलना उनका महिलाओं के उत्थान का दृढ़ निश्चय साफ दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि लड़कियों को पढ़ाने के लिए जब अध्यापक नहीं मिली तो उन्होंने सर्वप्रथम अपनी धर्म पत्नी सावित्री बाई फुले को पढ़ाकर भारत वर्ष की पहली महिला अध्यापिका बनाया। डा. सैनी ने बताया कि सावित्री बाई को भी लड़कियों को पढ़ाने के लिए भी बड़े मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा। जब वे स्कूल पढ़ाने जाती थी तो उनके ऊपर मैला डाल दिया जाता था।
पानीपत के प्रसिद्ध चार्टर्ड एकाउंटेंट गोविंद सैनी ने अपने संबोधन में बताया कि महात्मा ज्योतिबा फुले एक समाज सुधारक के साथ साथ बहुत बड़े कवि भी थे। उन्होंने गुलाम गिरी, किसान का कोड़ा, तृतीय रत्न, छत्रपति शिवाजी, राजा भोसले का पखड़ा और अछूतों की कैफियत आदि पुस्तकें लिखी। सैनी ने कहा कि जहां महात्मा फूले ने गुलाम गिरी पुस्तक में देश के बहुजनों पर सवर्णों द्वारा किए गए शोषण का जिक्र है वहीं किसान का कोड़ा बाजार व्यवस्था, साहूकारों एवम प्राकृतिक आपदाओं से किसानों की बढ़ी दुर्दशा पर आधारित है।
शिवाजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा. अशोक चौशलका अपनी किताब मे लिखते हैं कि यदि महात्मा फुले द्वारा सुझाए गए उपायों को लागू किया जाए तो किसानों की स्थिति बदल सकती है। गोविंद सैनी ने कहा कि गहनता से देखें तो महात्मा फुले का किसान दर्शन अद्भुत और अविश्वसनीय रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के सचिव दलबीर आर्य ने की। इस अवसर पर सांई बाबा मंदिर प्रधान सतनारायण गुप्ता, दलबीर आर्य, सतीश सैनी, अनिल सैनी, रोशन, कविता, आशा, सुमन, सोनिया सैनी, नीलम, काजल, सोनिया, अंजली, साहिल सैनी व छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।