- कहा : समय पर सटीक इलाज मिलने से एथलीट कर रहे हैं खेल में बेहतर वापसी
- कहा : भारतीय हाकी टीम के उपकप्तान हरमनप्रीत सिंह व नेशनल एथलीट
- हरमिलन बैंस सर्जरी के बाद कर रहे देश का नाम रोशन, ओलपिंक व एशियाई खेलों में जीते पदक
Aaj Samaj (आज समाज), Dr. Manit Arora, मनोज वर्मा, कैथल:
खेल के दौरान खिलाड़ी को लगने वाली किसी भी तरह की हड्डी/लिगामेंट की चोट उसके कैरियर में अड़चन नहीं लाएगी, क्योंकि आर्थोपेडिक्स एवं स्पोर्टस मेडीसिन में आई तकनीकी क्रांति से अब किसी भी तरह की चोटिल हड्डी को शत-प्रतिशत ठीक किया जा सकता है।
यह बात आज कैथल में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए जाने माने हड्डी रोग माहिर डा. मनित अरोड़ा ने कही, जो कि क्रिकेट, हाकी, कबड्डी, वालीबॉल, रेसलिंग, बास्केटबाल, फुटबाल व एथलीट सहित अन्य कई खेलों के दौरान चोटिल नेशनल व इंटरनेशनल खिलाडिय़ों की सफल सर्जरी कर चुके हैं।
फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के ओर्थोपेडिक्स (स्पोट्र्स मेडिसिन) विभाग के सीनियर कंस्लटेंट डा. मनित अरोड़ा ने बताया कि एसीएल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी, हाइब्रिड एसीएल सर्जरी, कीहोल आथ्र्रोस्कोपी सर्जरी आदि के माध्यम से कई चोटिल हुए नेशनल व इंटरनेशनल खिलाडिय़ों का इलाज किया गया है। जो कि अब देश के लिए ओलपिंक में मेडल जीतकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा हाल ही में भारतीय हाकी टीम के उप-कप्तान हरमनप्रीत सिंह जिनकी एंटीरियर क्रूसिएट (एसीएल) और मेनिस्कस टियर की सर्जरी की।
सर्जरी के बाद हरमनप्रीत ने टोक्यो ओलंपिक में भारत की जीत में योगदान दिया और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक भी जीता। डॉ. अरोड़ा ने कहा कि एंटीरियर क्रुशिएट (एसीएल) चोट घुटने की एक आम चोट है और ज्यादातर हॉकी, फुटबाल, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल खिलाड़ी व अन्य एथलीट इससे ज्यादातर चोटिल होते हैं। एसीएल और मेनिस्कस टियर के कारण हरमनप्रीत का टोक्यो ओलंपिक में जाना असंभव था, परंतु सर्जरी के बाद जल्द रिकवर हुए तथा अब देश के लिए बेहतर प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
डा. अरोड़ा ने बताया कि एथलीट हरमिलन बैंस घुटने की चोट के कारण खेल से दूर हो गई थी। उनकी घुटने की आथ्रोस्कोपी सर्जरी हुई। जोकि एक कीहोल सर्जरी है। दो छोटे मामूली चीरों के माध्यम से उनके घुटने को पूरी तरह से ठीक कर दिया। आप्रेशन के दो सप्ताह बाद ही मैदान में अभ्यास के काबिल हुई तथा अब एशियाई खेलों में ट्रेक एवं फील्ड एथलेटिक्स दो रजत पदक जीत चुकी हैं।
घुटने की आथ्र्रोस्कोपी और एसीएल सर्जरी के बारे में डॉ. अरोड़ा ने कहा खिलाडिय़ों की दोनों सर्जरी करने के लिए कौशल और सटीकता की आवश्यकता होती है। एसीएल चोटों के इलाज के लिए कई उपचार विकल्प उपलब्ध हैं और अधिकांश एथलीट 6-12 महीनों की अवधि में ठीक हो जाते हैं। कीहोल आथ्र्रोस्कोपी सर्जरी से जल्दी रिकवरी होती है और एथलीटों को तेजी से खेल में लौटने में मदद मिलती है। यह प्रक्रिया मरीजों को ऑपरेशन के अगले दिन चलने में सक्षम बनाती है।
उन्होंने बताया कि स्पोर्टस इंजरी (खेल के दौरान लगने वाली चोट) के लिए फोर्टिस अस्पताल मोहाली द्वारा एक स्पेशल सेंटर स्थापित किया गया है, जहां प्रसिद्ध खिलाड़ी सर्जरी करवाकर पुन: खेल मैदान में बेहतर प्रदर्शन करने के योज्य हुए हैं। उन्होंने बताया कि हड्डी रोग के उपचार में आई नई तकनीकी क्रांति से अब किसी भी चोटिल हड्डी ठीक की जा सकती है। ऐसा तभी संभव है, जब पीडि़त व्यक्ति को ऐसे अस्पताल में पहुंचाया जाए, जहां माहिर डाक्टरों के साथ-साथ उत्तम तकनीक उपलब्ध हो।
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