Dowry Harassment: दहेज उत्पीड़न प्रावधान के बढ़ते दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित

0
91
Dowry Harassment: दहेज उत्पीड़न प्रावधान के बढ़ते दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित
Dowry Harassment: दहेज उत्पीड़न प्रावधान के बढ़ते दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित

Dowry Harassment Cases, (आज समाज), नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं द्वारा अपने ससुराल वालों और रिश्तेदारों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न प्रावधान के बढ़ते दुरुपयोग पर गहरी चिंता व्यक्त की है। जस्टिस बी वी नागरत्ना और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मंगलवार को कहा कि बिना किसी विशेष आरोप के किसी भी शिकायत को शुरू में ही रोक दिया जाना चाहिए और कानून का दुरुपयोग पत्नी और/या उसके परिवार द्वारा दबाव बनाने की रणनीति के लिए नहीं होने दिया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में अस्पष्ट आरोपों के आधार पर आपराधिक कार्यवाही की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। विवाह विवाद से उत्पन्न आपराधिक मामले में परिवार के सदस्यों के नामों का मात्र उल्लेख, बिना किसी विशेष आरोप के उनकी सक्रिय भागीदारी को शुरू में ही रोक दिया जाना चाहिए।

ये भी पढ़ें : AI Engineer Suicide: पत्नी और सास की प्रताड़ना से आजिज AI इंजीनियर ने किया सुसाइड, न्यायिक व्यवस्था पर उठाए सवाल

पति के परिवार के सभी सदस्यों को फंसाने की प्रवृत्ति 

न्यायिक अनुभव से यह एक सर्वविदित तथ्य है कि जब वैवाहिक कलह से घरेलू विवाद उत्पन्न होते हैं तो अक्सर पति के परिवार के सभी सदस्यों को फंसाने की प्रवृत्ति होती है। जजों ने कहा कि ठोस सबूतों या विशिष्ट आरोपों द्वारा समर्थित ऐसे सामान्यीकृत और व्यापक आरोप आपराधिक अभियोजन का आधार नहीं बन सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रावधानों और कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने और निर्दोष परिवार के सदस्यों के अनावश्यक उत्पीड़न से बचने के लिए अदालतों को ऐसे मामलों में सावधानी बरतनी चाहिए। संशोधन के जरिये आईपीसी की धारा 498ए को शामिल करने का उद्देश्य पति और उसके परिवार द्वारा एक महिला पर की जाने वाली क्रूरता को रोकना था, ताकि राज्य द्वारा त्वरित हस्तक्षेप सुनिश्चित किया जा सके।

वैवाहिक विवादों में हुई है उल्लेखनीय वृद्धि

हालांकि, हाल के वर्षों में, वैवाहिक विवादों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, साथ ही विवाह संस्था के भीतर कलह बढ़ रही है, परिणामस्वरूप, आईपीसी की धारा 498 ए जैसे प्रावधानों का दुरुपयोग एक पत्नी द्वारा पति और उसके परिवार के खिलाफ व्यक्तिगत प्रतिशोध को उजागर करने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जाने लगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि क्रूरता का सामना करने वाली किसी भी महिला को चुप रहना चाहिए और शिकायत करने या किसी भी आपराधिक कार्यवाही शुरू करने से खुद को रोकना चाहिए, लेकिन अदालत को अस्पष्ट आरोपों पर कार्रवाई करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।

ये भी पढ़ें : Parliament Updates: संसद में अविश्वास प्रस्ताव व सोरोज मामले में घमासान, कार्यवाही स्थगित