प्रभजीत सिंह लक्की, यमुनानगर :
संतपुरा स्थित गुरू नानक गर्ल्स कॉलेज के एक भारत-श्रेष्ठ भारत और वीमेन एम्पावरमेंट क्लब की ओर से तेलांगना के गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज फॉर वुमेन हुसानी आलम, हैदराबाद के सौजन्य से घरेलू हिंसा विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम संयोजिका प्रो विभा अवस्थी ने बताया कि कॉलेज निर्देशिका डॉ वरिन्द्र गांधी और प्रिंसिपल डॉ अनु अत्रेजा के दिशा निर्देशन में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर माई चॉयसिस फाउंडेशन से अन्ना विलासिनी और तजवर लोधी मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे। जिन्होंने छात्राओं को घरेलू हिंसा संबंधित कानूनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
इस दौरान मुख्य वक्ता अन्ना विलासिनी ने कहा कि घरेलू हिंसा आम तौर पर एक व्यक्ति के जन्म के साथ ही शुरू होती है और उसकी मृत्यु के साथ खत्म होती है। हर इंसान घर में रहते हुए किसी ना किसी तरह से घरेलू हिंसा का शिकार होता है। इसको खत्म करने के लिए सबसे पहला कदम इसके खिलाफ आवाज उठाना है। महिलाओं को अधिकार के लिए आवाज उठाने की जरूरत है। तजवर लोधी ने बताया कि भारत में घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के अनुसार, घरेलू हिंसा के पीड़ित के रूप में महिलाओं के किसी भी रूप तथा 18 वर्ष से कम आयु के बालक एवं बालिका को संरक्षित किया गया है। उन्होंने महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिंसा, पुरुषों के विरुद्ध घरेलू हिंसा, बच्चों के विरुद्ध घरेलू हिंसा, बुजुर्गों के विरुद्ध घरेलू हिंसा सभी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि बुजुर्गों के विरुद्ध घरेलू हिंसा से तात्पर्य उस हिंसा से है जो घर के बूढ़े लोगों के साथ अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा की जाती है। घरेलू हिंसा की यह श्रेणी भारत में अत्यधिक संवेदनशील होती जा रही है। इसमें बुजुर्गों के साथ मार-पीट करना, उनसे अत्यधिक घरेलू काम कराना, भोजन आदि न देना तथा उन्हें शेष पारिवारिक सदस्यों से अलग रखना शामिल है।
इस अवसर पर कॉलेज निर्देशिका डॉ वरिन्द्र गांधी ने कहा कि घरेलू हिंसा न केवल विकासशील या अल्प विकसित देशों की समस्या है बल्कि यह विकसित देशों में भी बहुत प्रचलित है। घरेलू हिंसा हमारे छद्म सभ्य समाज का प्रतिबिंब है। सभ्य समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। लेकिन प्रत्येक वर्ष घरेलू हिंसा के जितने मामले सामने आते हैं, वे एक चिंतनीय स्थिति को रेखांकित करते हैं। हमारे देश में घरों के बंद दरवाजों के पीछे लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है। यह कार्य ग्रामीण क्षेत्रों, कस्बों, शहरों और महानगरों में भी हो रहा है। घरेलू हिंसा सभी सामाजिक वर्गों, लिंग, नस्ल और आयु समूहों को पार कर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लिये एक विरासत बनती जा रही है। आज के वेबीनार के माध्यम से छात्राओं को इसी बारे जानकारी दी गई है।
प्रिंसिपल डॉ अनु अत्रेजा ने कहा कि सभी महिलाओं को अपने अधिकार के लिए आवाज उठाने की जरूरत है जब तक हम अपनी आवाज नहीं उठाएंगे तब तक हमको हमारा अधिकार नहीं मिलेगा। चुप्पी तोड़ते हुए अपने अधिकारों के लिए हमको लड़ना होगा अन्याय के खिलाफ खड़ा होना होगा। अपने साथ हो रहे अत्याचार से लड़ना होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने आत्म सम्मान के लिए आगे आने की जरूरत है। महिलाओं के अंदर वह शक्ति है जिससे समाज में हो रहे महिलाओं के प्रति अत्याचार को रोका जा सकता है। उन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए एक भारत-श्रेष्ठ भारत और वीमेन एम्पावरमेंट क्लब के सभी सदस्यों को बधाई दी। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ बबीला चौहान, दीपिका, डॉ प्रभजोत कौर, डॉ आरती सिंह, डॉ शैली जैन, डॉ लक्ष्मी गुप्ता, डॉली अरोड़ा, हीना ग्रोवर और सानिया मलिक का सहयोग सराहनीय रहा।
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