आज का दिन पूरे भारतवर्ष में डॉक्टर्स दिवस रूप में मनाया जा रहा है। डॉक्टर्स हमारे जीवन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं ताकि समाज में रह रहे लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल हो सके। अगर हम शारीरिक रूप से कभी बीमार होते हैं तो एकदम से हमारे दिमाग में डॉक्टर का ख्याल आता है क्योंकि हम यह अच्छी तरह जानते हैं कि वो ही हमें स्वस्थ कर सकते हैं। इसीलिए डॉक्टरी एक सम्मानीय पेशा है क्योंकि इसमें सेवा व त्याग की भावना होती है। आज पुरी दुनिया करोना की महामारी से जूझ रही है। दुनिया भर के हजारों डॉक्टर्स, नर्स, अन्य स्वास्थ्य कर्मी और शोधकर्ता सभी अथक प्रयास कर रहे हैं जिससे कि लोगों के जीवन को बचाया जा सके। वे अनेक कठिनाईयों के बाद भी अपना कार्य बड़ी ईमानदारी और मेहनत से कर रहे हैं, जिससे कि लाखों लोगों को मदद मिल रही है। आईये! इस बात को समझने की कोशिश करें कि एक डॉक्टर बनने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। विद्यार्थियों को अनेक वर्ष मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा विज्ञान से संबंधी कोर्स को करने के लिए लगाने पड़ते हैं। मानव शरीर के प्रत्येक अंग, हर एक औषधि या दवाई अथवा प्रत्येक बीमारी को याद रखने के लिए और रोगियों का सही ढंग से ईलाज व उपचार करने के लिए, अनेक वर्षों तक कठोर अध्ययन की जरूरत होती है, जिसमें एक प्रबल लगन की आवश्यकता पड़ती है, जब तक कि उस क्षेत्र में निपुणता हासिल न कर ली जाए। उसके पश्चात व्यावहारिक प्रशिक्षण आदि में बहुत सा समय गुजारना पड़ता है। अगर हम डॉक्टर्स के जीवन को देखें तो वह निष्काम सेवा का जीता-जागता उदाहरण होता है। वे ज्यादा से ज्यादा अपना समय लोगों को स्वस्थ करने में लगाते हैं। स्वस्थ होने का अर्थ है बीमारियों से मुक्ति। बीमारी क्या है यानि आराम में नहीं होना। शारीरिक तौर पर अनेक बीमारियों के कारण हम अपने आपको अस्वस्थ महसूस करते हैं।
मानसिक तौर पर हम अपने व्यवसाय की समस्याओं, घर की कठिनाईयों, सामाजिक परेशानियों या भावनात्मक तकलीफों के कारण भी अस्वस्थ होते हैं। बहुत से लोग आध्यात्मिक तौर पर भी हम अपने आपको जान नहीं पाते जिस करके वे परेशान रहते हैं क्योंकि उनके अंदर आत्मा-परमात्मा, जिंदगी के मकसद या मौत के बाद की जिंदगी के बारे में प्रशन उठते रहते हैं। जब तक हमें अर्थात हमारी आत्मा को उनका उत्तर नहीं मिल जाता, तब तक वह बेचैन रहती है। इस प्रकार अपने आपको स्वस्थ करने के लिए हमें अपने आपको न सिर्फ शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी स्वस्थ रखना होगा। भौतिक शरीर के स्वास्थ्य के बारे में एक मनोरंजक कहावत है। यह कहा जाता है कि स्वास्थ्य में गिरावट के चार परिणाम होते हैं। पहला पससए (बीमार पड़ना), दूसरा चपसस (दवाईयाँ खाना), तीसरा इपसस (खर्च) और चैथा कुछ एक मामलों में पूसस (वसीयत लिखना)। मैं स्वस्थ होने के लिए एक विकल्प जोड़ना चाहूँगा, जो है जपसस अर्थात (स्थिर होना)। आईये! हम देखें कि ध्यान-अभ्यास अर्थात स्थिर होने की कला, किस प्रकार से हमारे शरीर, मन, हमारी भावनाओं, आत्मा और पूरी दुनिया को स्वस्थ करने की शक्ति रखती है। आज की आधुनिक चिकित्सा प्रणाली भी इस नतीजे पर पहुँची है कि ध्यान-अभ्यास करने के अनेक लाभ हैं। इसका प्रतिदिन अभ्यास हमें आध्यात्मिक रूप से तो लाभ प्रदान करता ही है बल्कि इसके द्वारा हमें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से भी अनेक लाभ मिलते हैं।
चिकित्सा शोधकर्ताओं ने कुछ बीमारियों को हमारी मानसिक एवं भावनात्मक अवस्थाओं से भी जोड़ा है। बहुत खोज करने के बाद वे इस नतीजे पर पहुँचें हैं कि जब हम मानसिक तनाव, भावनात्मक पीड़ा या उदासी के समय से गुजरते हैं तो हमारे शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है। जिससे कारण हम अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। डॉ. जॉन. क्रेवन द्वारा किये गए एक शोध के अनुसार ध्यान-अभ्यास करने वाले लोगों में तनाव की मात्रा कम पाई जाती है। ध्यान-अभ्यास पर किये गए परीक्षणों में पाया गया है कि इससे तनाव संबंधी बीमारियों जैसे उच्च रक्तचाप, नींद न आना, दमा, दिल की धड़कन में अनियमितता आदि में सुधार हो जाता है। बहुत से चिकित्सा केन्द्रों एवं अस्पतालों में तनाव कम करने के लिए और कुछ एक बीमारियों का इलाज करने के लिए आजकल ध्यान-अभ्यास की कक्षाएं भी लगाई जाती हैं। ध्यान-अभ्यास हमारे मन और हमारी भावनात्मक अवस्था को स्वस्थ करके हमारे शरीर को भी स्वस्थ रखता है। चिकित्सक अपने मरीजों का इलाज करते हुए, उन्हें बीमारियों से रोकथाम के लिए एवं अपने इलाज को अधिक असरदार बनाने के लिए ध्यान-अभ्यास में समय लगाने की सलाह दे सकते हैं। ध्यान-अभ्यास में प्रतिदिन कुछ समय देने से, उनके मरीज एक ऐसी स्वास्थयकारी शक्ति के संपर्क में आ जाएंगे, जोकि उनकी जिंदगी को बदल देगी और उन्हें राहत एवं धैर्य प्रदान करेगी। आईये आज विश्व डॉक्टर्स दिवस पर हम उन सभी लोगों का धन्यवाद करें जोकि हमें स्वस्थ रखने के लिए दिन-रात प्रयासरत हैं।