अक्सर आपने सुना या पढ़ा होगा कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए फिजिकली एक्टिव बने रहना आवश्यक है। वहीं समय-समय पर फिट रहने के लिए विशेषज्ञ व्यायाम को रूटीन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने की बात भी करते रहते हैं। लोग इन दोनों बातों को अक्सर एक समझ लेते हैं, जबकि इनमें अंतर है।
क्या है इनका मतलब?
फिजिकल एक्टिविटी: इसका अर्थ उन तमाम गतिविधियों से है जिनके द्वारा हम शरीर का संचालन लय में बनाए रखते हैं और अपनी मसल्स को काम करने का मौका देते हैं। इसमें बागवानी से लेकर, झाड़ू-पोंछे जैसे तमाम घरेलू काम, पैदल टहलना, सीढ़ियां चढ़ना, बच्चों के साथ खेलना, पेट्स को घुमाना आदि शामिल हैं।
एक्सरसाइज: यह फिजिकल एक्टिविटी का ही एक विशेष प्रकार है, जिसमें योजनाबद्ध तरीके से, विशेष फिजिकल एक्टिविटीज के जरिए शरीर और दिमाग को फिट बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। यही कारण है कि व्यवहार में सूक्ष्म अंतर होते हुए भी इन दोनों के परिणामों में खासा बड़ा अंतर हो सकता है। इसलिए जीवन में इन दोनों का ही होना जरूरी है।
इसलिए भी खास है यह अंतर
जो भी काम रोज फिजिकल एक्टिविटी या शारीरिक गतिविधियों के तौर पर किए जाते हैं, वे इंटेंसिटी के लिहाज से हल्के और माध्यम हो सकते हैं। जैसे घर की सफाई करना, कपड़े धोना, खाना बनाना, बिस्तर बनाना, बच्चों के साथ खेलना आदि कार्यों से शरीर को लाभ मिल सकता है लेकिन इसका प्रतिशत बहुत कम होता है। यानी इन सब कामों से आप मुट्ठी भर कैलोरीज ही खर्च कर सकते हैं, बस। हां यह उन लोगों के ऊपर लागू नहीं होता जो बड़े स्तर पर ऐसी गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं, जैसे घरेलू सेवक, श्रमिक आदि। वहीं एक्सरसाइज का मतलब होता है नियमित तौर पर उच्च इंटेंसिटी के साथ कई सारी कैलोरीज को एक साथ घटाना, जैसे रस्सी कूदकर, दौड़कर या अन्य व्यायामों के साथ।
भिन्नता परिणामों में
जाहिर है कि इंटेंसिटी में भिन्नता का सीधा प्रभाव परिणाम पर पड़ता है। हालांकि यहां कुछ फिजिकल एक्टिविटीज ऐसी भी हैं जो व्यायाम जितना ही लाभ दे सकती हैं लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे अपना रहे हैं, क्योंकि अधिकांशत: इन्हें थोड़े-बहुत फेरबदल से एक्सरसाइज का ही हिस्सा बना लिया जाता है, जैसे एरोबिक, डांस या सीढ़ियां चढ़ना। ऐसे में फिजिकल एक्टिविटीज छोटे स्तर पर शरीर को लाभ पहुंचाती हैं और व्यायाम बड़े परिणाम देता है।
जुड़े हुए हैं दोनों
फिजिकली एक्टिव रहकर एक व्यक्ति फिट रह सकता है लेकिन एक सीमा के बाद उसके शरीर पर इन एक्टिविटीज से होने वाला असर धीमा होने लगता है और उसे एक्सरसाइज की जरूरत पड़ती है। लेकिन फिजिकल एक्टिविटीज के कारण शरीर में बनी रहने वाली स्फूर्ति व्यायाम के समय काम आती है। वहीं एक्सरसाइज के कारण मिलने वाली स्ट्रेंथ फिजिकल एक्टिविटीज के लिए शरीर में ताकत बनाए रखती है।
दोनों का सम्मिलित प्रयोग
व्यायाम का जीवन में किसी भी रूप में शामिल होना आवश्यक है। वहीं फिजिकली एक्टिव रहना शरीर को जंग लगने से बचाता है। लेकिन यहां सबसे जरूरी है इनका नियमित बने रहना। ऐसे में समय या स्थिति के हिसाब से फिजिकल एक्टिविटी को एक्सरसाइज में भी बदला जा सकता है, जैसे पेट्स के साथ या अकेले टहलने के बजाय ब्रिस्क वॉक करना, तेजी से 4-5 बार सीढ़ियां चढ़ना, बच्चों के साथ बिना रुके तेज डांस करना या दौड़ने वाले खेल लगभग पौन घंटा रोज खेलना आदि। इसके लिए बाकायदा किसी विशेषज्ञ से भी परामर्श लिया जा सकता है।