क्रोध या गुस्सा, किसी चीज को नापसंद करने पर स्वाभाविक रूप से होने वाली प्रतिक्रिया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक लोगों में क्रोध और गुस्से की भावना के कारण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, क्रोध केवल भावनाओं या शक्ति का शारीरिक प्रदर्शन नहीं है, इसके कई रूप हो सकते हैं। लोग अपनी आक्रामकता को अलग-अलग तरीकों से व्यक्त कर सकते हैं। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन, क्रोध या गुस्से की भावना को मानसिक शांति के लिए अच्छा मानता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यह आपको नकारात्मक भावनाओं को व्यक्त करने का एक तरीका देता है। लेकिन यदि आपको बार-बार या बहुत अधिक क्रोध आता है, जो आपके नियंत्रण की सीमा से बाहर चला जाता हो तो इसे नुकसानदायक माना जाता है। मनोचिकित्सक कहते हैं, क्रोध के कारण बढ़ा हुआ ब्लड-प्रेशर और इससे जुड़े अन्य शारीरिक परिवर्तन सोचने की क्षमता को प्रभावित करने के साथ कई प्रकार से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पर आखिर लोगों में बहुत ज्यादा या बार-बार गुस्सा आता क्यों है? मस्तिष्क में ऐसे कौन से परिवर्तन हैं जो लोगों को गुस्सैल बना देते हैं, आइए इस बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।
क्यों आता है बार-बार गुस्सा?
मनोचिकित्सक कहते हैं, गुस्सा किसी को भी, किसी भी बात के खिलाफ आ सकता है। हर किसी में इसके कारण भिन्न हो सकते हैं। कुछ लोगों में पारिवारिक समस्याएं, वित्तीय संकट, काम से संबंधित तनाव या रिश्तों में चल रही मुश्किलें भी गुस्से को ट्रिगर कर सकती हैं। जबकि कुछ लोगों में तमाम तरह के मानसिक विकारों के कारण भी अक्सर गुस्से की भावना आ सकती है। यदि आपको बार-बार गुस्सा आ रहा है, तो इस बारे में किसी मनोचिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है।
गुस्से को बढ़ाने वाले कारक
मनोचिकित्सक बताते हैं, स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की समस्याएं भी अनियंत्रित और बार-बार होने वाले गुस्से का कारण बन सकती हैं। अक्सर अवसाद यानी कि डिप्रेशन के शिकार लोगों में छोटी से छोटी स्थिति में निराशा और क्रोध आने की समस्या देखी जा सकती है। कुछ मामलों में मिर्गी की समस्याएं भी गुस्से को बढ़ावा दे सकती हैं। ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) एक प्रकार का चिंता विकार है जो व्यक्ति के व्यवहार पर असर डालती है। ऑब्सेसिव विचारों के कारण भी लोग अत्यधिक गुस्से का शिकार हो सकते हैं। ध्यान रखें, इन सभी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों का समय रहते निदान और इलाज कराना आवश्यक माना जाता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
मनोवैज्ञानिक और एंगर मैनेजमेंट विशेषज्ञ डॉ जेरी डेफेन बैंकर कहते हैं, जिस तरह से शरीर की संरचना एक से दूसरे व्यक्ति में अलग होती है, उसी तरह से गुस्से की भावना भी लोगों में भिन्न कारणों, आवृति और आक्रामकता वाली हो सकती है। कुछ लोग गुस्से की भावना को ज्यादा आक्रामक तरीके से नहीं दिखाते हैं जबकि कुछ लोगों में यह आसानी से पता चल जाता है। यदि आपको भी सामान्य से अधिक या बार-बार गुस्सा आता है तो इसके पीछे की असल समस्या के निदान के लिए किसी मनोचिकित्सक से जरूर मिलें। समय से कारणों का पता चल जाने से स्थिति को ठीक करना आसान हो जाता है।
गुस्से को नियंत्रित करने के क्या तरीके हैं
मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं, गुस्से को शांत करने का सबसे आसान तरीका है लंबी और गहरी सांस लेना। जब भी आपको गुस्सा आए तो लंबी सांस लें, इससे मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलता है जिससे गुस्से की समस्या को कम किया जा सकता है। शारीरिक गतिविधि या व्यायाम, तनाव को कम करने में मदद करते हैं, जिसे क्रोध का मुख्य कारण माना जाता है। अगर आपको लगता है कि गुस्सा बढ़ रहा है तो तेजी से चलना शुरू कर दें, ऐसा करने से ध्यान दूसरी चीजों पर चला जाता है और इससे भी गुस्से को कम किया जा सकता है। योग और मेडिटेशन को गुस्से को कम करने का स्थाई समाधान माना जाता है। हालांकि यदि आपको गुस्सा बहुत ज्यादा और बार-बार आता है तो इस बारे में किसी मनोचिकित्सक से सलाह जरूर ले लें।
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