नई दिल्ली। एनआरसी और सीएए को लेकर देश विरोध हो रहा था। कई स्थानों पर इसके विरोध में रैलियां निकाली गर्इं और प्रदर्शन किए गए। कैबिनेट की बैठक में कल एनपीआर के लिए बजट का आवंटन किया गया और एक अपैल 2020 से जनगणना को शुरू करने का निर्णय लिया गया है। गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट रूप से पहले ही कहा कि एनपीआर डॉ. मनमोहन सिंह के समय 2010 में इसे लाया गया था। यह भाजपा सरकार का कदम नहीं है। इसे एनआरसी से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। वहीं दूसरी ओर आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पार्टी से लोकसभा के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) सरकार का राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की ओर उठाया गया पहला कदम है। ओवैसी ने कहा कि ‘वे नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार एनपीआर कर रहे हैं, तो क्या यह एनआरसी से जुड़ा नहीं है? गृह मंत्री देश को क्यों गुमराह कर रहे हैं? उन्होंने संसद में मेरा नाम लिया और कहा कि ‘ओवैसी जी एनआरसी देश भर में लागू किया जाएगा।’ ओवैसी ने कहा कि अमित शाह साहब, जब तक सूरज पूरब से उगता रहेगा, हम सच कहते रहेंगे। एनपीआर, एनआरसी की ओर पहला कदम है। जब अप्रैल 2020 में एनपीआर किया जाएगा, तो अधिकारी दस्तावेजों के लिए कहेंगे… अंतिम सूची एनआरसी होगी। बता दें कि इससे पहले मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक विशेष साक्षात्कार में कहा था कि एनपीआर का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है। साक्षात्कार में गृहमंत्री ने ओवैसी पर हमला बोलते हुए कहा था कि “मैं ओवैसी जी के रुख से हैरान नहीं हूं। अगर हम कहें कि सूर्य पूर्व से उगता है, तो ओवैसी साहब कहते हैं कि यह पश्चिम से उगता है। लेकिन मैं ओवैसी जी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि एनपीआर का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है और यह भी कि ये दोनों एक दूसरे से बहुत अलग हैं।