कार्तिक अमावस्या के दिन मनाई जाती है दीवाली
Diwali Special (आज समाज) अंबाला: दीपों का पर्व दिवाली कल यानि की 31 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा। दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योंहार है। दिवाली के पहले ही इस त्योंहार को मनाने की तैयारियां शुरू हो जाती है। घरों को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है। लोग अपने संगे संबंधियों के लिए उपहार खरीदते है। एक दूसरे को मिठाइयां देते है। बच्चे हो या बड़े सभी जमकर आतिशबाजी चलाते हैं और पटाखे फोड़ते है। वहीं, त्रेता युग में भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास के बाद घर लौटने की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर दीवाली मनाई थी। वहीं रात के समय मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। ऐसा मान्यता है कि मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से घर में धन-दौलत में वृद्धि होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।
कल होगा लक्ष्मी पूजन
वैदिक पंचाग के अनुसार दिवाली की की तिथि उदया तिथि के आधार पर तय होती है। इस बार कार्तिक मास अमावस्या तिथि की शुरूआत 31 अक्टूबर को 3 बजकर 52 मिनट पर होगी। अमावस्या का समापन एक नवबंर को 6 बजकर 16 मिनट पर होगा। जिस कारण लक्ष्मी पूजन 31 अक्टूबर को ही किया जाएगा।
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 31 अक्टूबर को दीवाली मनाई जाएगी। 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ समय संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। इस समय में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं।
पूजन विधि
साधक गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और पीले रंग का वस्त्र धारण करें। अब गंगाजल से पूजा स्थल को शुद्ध करें। इसके बाद एक चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर लक्ष्मी गणेश जी की नवीन प्रतिमा स्थापित करें। अब ध्यान मंत्र और आवाहन मंत्र का पाठ करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि-विधान या शास्त्र नियमों का पालन कर लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करें। पूजा के दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी को फल, फूल, धूप, दीप, हल्दी, अखंडित चावल, बताशा, सिंदूर, कुमकुम, अबीर-गुलाल, सुगंधित द्रव्य और नैवेद्य आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय लक्ष्मी चालीसा का पाठ, लक्ष्मी स्तोत्र और मंत्र जप करें। पूजा के अंत में आरती करें।