(Kurukshetra News) कुरुक्षेत्र। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी के सानिध्य में गीता ज्ञान संस्थानम में होली उत्सव श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। होली के रंग, गौमाता के संग यह उत्सव गाय माता को समर्पित रहा। नगर के प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों सहित इस उत्सव में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। फूलों की होली खेलने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। प्रसिद्व भजन गायिका अर्चना बावरी ने जब आई फाल्गुन की बहार, होली खेले नंद कुमार…. भजन सुनाया तो श्रद्धालु ठाकुर जी की युगल जोड़ी के सामने जमकर नाचे।

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने श्रद्धालुओं के साथ खेली फूलों की होली, होली उत्सव में उमड़ा जनसैलाब

पवन गुब्बर ने मैं श्याम नाल होली खेला तथा सुनील वत्स ने भी राधा और कृष्ण भाव के होली से संबंधित भजन सुनाए। श्रद्धालुओं ने भजनों का खूब आनंद उठाया और जमकर थिरके। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने सबसे पहले ठाकुर जी की युगल जोड़ी को पुष्प अर्पित किए और उसके बाद श्रद्धालुओं के साथ फूलों की होली खेली। सारा वातावरण भक्तिमय हो गया और सभी पर होली का रंग जमकर चढ़ा तथा मस्ती में श्रद्धालु जमकर झूमे। रतन रसिक ने चढ़ा दो रंग भक्ति, नाम की मस्ती का….भजन गाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

अर्चना बावरी द्वारा गाए गए, आई फाल्गुन की बहार, होली खेले नंद कुमार….के भजन पर जमकर नाचे श्रद्धालु

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने अपने आर्शीवचन में होली पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति में त्यौहारों की दिव्यता है। प्रत्येक त्यौहार का अपना मर्म है, जरूरत है इस मर्म को समझने की। सनातन संस्कृति त्यौहारो की दिव्यता की संस्कृति है। होली पर्व को मर्यादा में रहकर अनुशासन में मनाना चाहिए। दुर्भावनाओं की होली जले और सद्भावनाओं के रंग चढ़े। आज शांति और प्रेम की आवश्यकता है, परिवार में, समाज में और पूरे विश्व में प्रेम और सद्भावना बढ़े। इसीलिए होली पर्व मनाया जाता है।

होली का पर्व हिरण्यकश्यप के अहंकार के नाश का प्रतीक है। होलिका दहन में हिरण्यकश्यप का अहंकार जला था और प्रहलाद का विश्वास और अधिक चमक के साथ बाहर निकला था।गीता मनीषी ने कहा कि होली पर्व प्रेम, मस्ती और सद्भावना का प्रतीक है। इस पर्व को हुड़दंग के साथ नहीं मनाना चाहिए, बल्कि मर्यादा में रहकर आपसी प्रेम और सद्भावना के साथ मनाना चाहिए। भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार मनाने का मर्म है, इसे समझना चाहिए। अहंकार की होली जले और प्यार के रंग चढ़े यहीं गीता ज्ञान संस्थानम का उद्देश्य है। इसलिए गीता ज्ञान संस्थानम में होली पर्व मनाने का शुभारंभ किया गया है।

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