अनुरेखा लांबरा, पानीपत:
हरियाणा के कण-कण में श्री गुरु तेग बहादुर जी की वाणी का दिव्य ज्ञान समाया है। इस दिव्य ज्ञान को देने के लिए हिंद दी चादर श्री गुरु तेग बहादुर जी ने स्वयं अपने चरण डालकर हमारी धरा को पवित्र किया। हमारे आठ से ज्यादा जिलों में श्री गुरु तेग बहादुर जी पहुंचे और संगतों को वाणी का प्रसाद दिया।
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8 जिलों में पड़े थे गुरुजी के चरण
सबसे पहलू यह है कि प्रदेश के 8 जिलों में जहां-जहां श्री गुरु तेग बहादुर जी के चरण पड़े वहां पर उन-उन जिलों में लगभग 26 गुरुद्वारा साहिब से युवा पीढ़ी को संस्कृति और संस्कारों का ज्ञान मिल रहा है। इस पावन धरा पर श्री गुरु तेग बहादुर जी के आदर्शों, सिद्धांतों, मानवीय मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए हरियाणा सरकार ने पानीपत की धरा पर श्री गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाशोत्सव बडे हर्षोल्लास के साथ मनाया है।
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परंपरा अनुसार श्री गुरु ग्रंथ साहिब को लाए खेलमंत्री
हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह, सांसद एवं आयोजन समिति के संयोजक संजय भाटिया, पानीपत के विधायक महिपाल ढांडा, विधायक प्रमोद विज, पूर्व चेयरमैन हरपाल सिंह चीका पहली पातशाही गुरुद्वारा साहिब में पहुंचे। यहां पर सभी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को माथा टेका और समागम स्थल पर ले जाने के लिए अरदास की। इसके बाद श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी पालकी में विराजमान होकर पंच प्यारों की अगुवाई में और भव्य नगर कीर्तन के बीच श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाशोत्सव समागम स्थल पर पहुंचे। यहां समागम स्थल प्रवेश द्वार से खेल मंत्री संदीप सिंह श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को परंपरा अनुसार मुख्य मंच पर लेकर आए।
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गुरु जी ने 1661 से 1675 तक कीं प्रकाश यात्राएं
उन्होंने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी की प्रकाश यात्राएं 1661 से 1675 तक रही, इस दौरान श्री गुरु तेग बहादुर जी अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, करनाल, रोहतक, जींद, कैथल और सोनीपत जिलों में पहुंचे। इन सभी जिलों में जहां-जहां श्री गुरु तेग बहादुर जी ने चरण रखें उन-उन जगहों पर लगभग 26 गुरुद्वारा साहिब आज भी श्री गुरु तेग बहादुर जी के आदर्शों पर चलने का संदेश दे रहे है। गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने जून 1656 ईस्वी में करतारपुर साहिब से पहली धर्म प्रचार यात्रा सातवें गुरु हर राय साहब जी के हुक्म के साथ शुरू की। गुरु तेग बहादुर साहिब जी हरियाणा के अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और करनाल आदि इलाकों से धर्म प्रचार का कार्य करते हुए पटना साहिब पहुंचे।