फसल अवशेषों को आग लगाने से रोकने के लिए, जिला प्रशासन का माईक्रो लेवल प्लान

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District administration's plan to prevent crop residue from setting on fire

प्रवीण वालिया, करनाल :

  • डीसी ने सभी एसडीएम, बीडीपीओ, तहसीलदार, ग्राम सचिव व पटवारियों से
  • आग न लगाने के लिए किसानो को मोटीवेट किए जाने की ली फीडबैक

धान कटाई के बाद किसानो द्वारा अवशेषों को आग लगाए जाने की घटनाओं को रोकने के लिए, इस बार जिला प्रशासन का माईक्रो लेवल प्लान कारगर सिद्ध होगा। शुक्रवार को पंचायत भवन में इस प्लानिंग के सूत्रधार एवं उपायुक्त अनीश यादव ने पंचायत भवन में आयोजित कार्यक्रम में सभी एसडीएम, बीडीपीओ, तहसीलदार, ग्राम सचिव और पटवारियों से उनके एरिया अनुसार फीडबैक ली, जिसमें पूछा गया कि जिन गांवो में बीते वर्ष आगजनी की घटनाएं हुई, उनसे सम्बंधित किसानो को इस सीजन में आग न लगाने के लिए किस प्रकार मोटीवेट किया गया।

क्या है माईक्रो लेवल प्लान

बता दें कि माईक्रो लेवल प्लान के अंतर्गत उपायुक्त की ओर से खण्ड़वार ऐसे गांवों की सूची बनाई गई थी, जिनमें गत वर्ष फसल अवशेषों में आग लगाने की घटनाएं हुई थी और सेटेलाईट के जरिए एक्टिव फायर लोकेशन की जानकारी मिली थी। इन गांवो में सम्बंधित एसडीएम को नोडल बनाकर बीडीपीओ व तहसीलदार के जरिए गांव के पटवारी व ग्राम सचिव को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वे आग लगाने वाले किसानो को हर तरीके से समझाएं और उनसे एफिडेविट लें, कि वे इस बार फसल अवशेषों में आग नहीं लगाएंगे। यही नहीं ऐसे किसानो को इस बात के लिए भी मोटीवेट करने को कहा गया है कि वे पराली के बेलर बनवाएं या उन्हें खेतो में ही समायोजित करें, या फिर खेत के बाहर बनाए गई डोल पर रखें। ऐसा करने के लिए सरकार की ओर से एक हजार रूपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि मिलेगी।

दशहरे के आस-पास कटाई प्रारम्भ

मीटिंग में उपायुक्त ने खण्ड़वार गत वर्ष के फायर लोकेशन के गांवों के एक-एक पटवारी व ग्राम सचिव से की गई कार्रवाई की जानकारी ली, जिसमें उन्होंने बताया कि पूरे गांव में मनादी करवा दी गई है। किसानो को प्रोत्साहन राशि की जानकारी दी गई है और बेलर की उपलब्धता के सम्पर्क नम्बर भी किसानो को शेयर कर दिए गए हैं। उपायुक्त ने जुण्डला, बल्ला, करनाल, घरौंडा और नीलोखेड़ी के गांवों के पटवारी व ग्राम सचिवों से जानकारी एकत्र की। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन गांवो में अभी तक आग लगाने वाले किसानो को पूरी तरह से मोटीवेट नहीं किया गया है, इस काम को अगले तीन-चार दिनो में कर लें। दशहरे के आस-पास कटाई प्रारम्भ हो जाएगी, उससे पहले-पहले निजी रूप से और दोबारा सभी किसानो से सम्पर्क करें। उन्होंने सम्बंधित एसडीएम, बीडीपीओ व तहसीलदार को भी अपने-अपने एरिया में इस काम को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

उपायुक्त ने बताया कि बेमौसमी बारिश से फसल कटाई का कार्य कुछ लेट हो गया है, जो अगले कुछ दिनो में पूरी तरह से शुरू हो जाएगा। कटाई का कार्य करीब एक महीना चलेगा। फसल अवशेषों में आग लगाने की इस बुराई को पूरी तरह से खत्म करने के लिए किसानो को जागरूक करना ही सबसे बेहतर है और अगले 3-4 दिन इस काम के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जिन गांवो में सेटेलाईट से एक्टिव फायर लोकेशन की सूचना मिलेगी, उन गांवो के पटवारी और ग्राम सचिव सीधे-सीधे जिम्मेदार होंगे, जिनके खिलाफ एक्शन हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जो किसान इस बार अपने खेतो में फसल अवशेषों को आग नहीं लगाएगा, उसे जिला प्रशासन आगामी 26 जनवरी को सम्मानित करेगा।

डीडीए ने दी जानकारी

मीटिंग में उप कृषि निदेशक डॉ. आदित्य डबास ने जानकारी दी कि गत वर्ष जिला में एक्टिव फायर लोकेशन की 957 सूचनाएं मिली थी, जिनमें से 729 सही पाई गई थी। आग लगाने वाले 518 व्यक्ति/किसानो पर 13 लाख 2 हजार 500 रूपये का जुर्माना लगाया गया था और 138 व्यक्तियों के खिलाफ सम्बंधित थानो में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। उन्होंने बताया कि जिला के ऐसे गांव जहां वर्ष 2020 और 2021 में आग लगाने की घटनाएं हुई, उन्हें रेड व येलो जोन में लिया गया है। इसके तहत इस वर्ष के रेड जोन के कुल गांव 53 और येलो जोन के 107 हैं। इन गांवो में कृषि विभाग की ओर से जागरूकता शिविर लगाए गए और माईक्रो लेवल प्लान के तहत किसानो को आग न लगाने के लिए मोटीवेट किया गया है। डीडीए ने बताया कि किसान यदि फसल अवशेषों का प्रबंधन करे तो यह उसके लिए बहुत ही उपयोगी है। सरकार की ओर से प्रति एकड़ एक हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।

सभी कस्टम हायरिंग सेंटर व कुछ व्यक्तिगत किसानो के पास 250 के करीब बेलर उपलब्ध हैं, जिनसे किसान आसानी से फसल अवशेष प्रबंधन करवा सकता है। उन्होंने जानकारी दी कि इस बार किसानों के हित को देखते हुए आईओसीएल को पराली की आपूर्ति की जाएगी, इसके लिए जिला में साढे 57 एकड़ भूमि पराली भंडारण के लिए सुनिश्चित की गई है। इस काम के लिए जिला के बाम्बरेहड़ी, गगसीना और सिरसी, तीन जगहों पर डिपो बनाए गए हैं, जहां पराली एकत्र की जाएगी।

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