नई दिल्ली। उत्तर कोरिया के अनुसार अधर में लटकी परमाणु वार्ता तब शुरू किया जाएगा जब हमारी सुरक्षा के खतरों और प्रगति की राह के अवरोधकों को लेकर सभी संदेहों को दूर किया जाएगा। उत्तर कोरिया हमेशा जोर देता रहा है कि किसी भी समझौते के अंतर्गत सुरक्षा गारंटी जरूरी होगी, लेकिन उसने आम तौर पर वार्ता में इसे महत्वपूर्ण बिंदु नहीं बनाया है।
बता दें कि ट्रंप और जोंग की बीच की वार्ता फरवरी में की गई थी जो किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई थी।
उत्तर व दक्षिण कोरिया के सैन्य रहित क्षेत्र में अचानक हुई बैठक के दौरान दोनों नेता कामकाजी स्तर की वार्ता आरंभ करने पर सहमत हुए थे और प्योंगयोंग ने इस बाबत प्रस्ताव भी रखा जिसे अमेरिका ने उत्साहजनक बताया। लेकिन, कुछ घंटे बाद ही प्योंगयोंग ने दोबारा हथियार परीक्षण किया।
राजनयिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया जा रहा है कि किम जोंग ने एक पत्र के द्वार ट्रंप को अगस्त में प्योंगयांग आने का न्योता दिया था। जिसमें ट्रंप से परमाणु को लेकर वार्ता आगे बढ़ाने की बात भी कही थी।