Digital Payment: भारत में अब डिजिटल पेमेंट का दौर तेजी से बढ़ता जा रहा है. अब तो जमाना इतना एडवांस हो गया है कि कहीं कुछ खरीदारी या भी किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने भी जाते हैं तो कैश नहीं बल्कि ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से भुगतान कर देते हैं. इतना ही नहीं लोग बड़ी-बड़ी खरीदारी के लिए भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल करते हैं, जिसका बड़े स्तर पर असर देखने को मिल रहा है.
उम्मीद है कि आने वाले कुछ सालों में भारत में इसकी दर काफी बढ़ जाएगी. अभी भी यूपीआई पेमेंट की बात करें तो बाकी देशों को काफी पीछे छोड़ चुका है. हाल ही में आई एक रिपोर्ट बताती है कि 6 सालों में खुदरा डिजिटल पेमेंट 100 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी देखने को मिली है.
इसके साथ ही रिपोर्ट के मुताबिक जाहिर किया गया है कि आगामी 6 वर्ष में देश में डिजिटल खुदरा पेमेंट फिर 100 प्रतिशत की ग्रोथ देखने को मिल सकती है. केर्नी और अमेजन पे की एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2030 तक भारत में खुदरा डिजिटल पेमेंट मौजूदा स्तर की तुलना में डबल होकर 7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद लगाई जा रही है.
भारत में बीते साल में हुई इतनी बढ़ोतरी
भारत में यूपीआई पेमेंट ने किस तरह ग्रोथ की इसका अंदाजा आप आंकड़ों से ही लगा सकते हैं. छह साल में 2018 से 2024 तक देश में यूपीआई पेमेंट में 138 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो वित्तीय साल 2017-18 में भारत में 300 बिलियन डॉलर के खुदरा भुगतान डिजिटल तरीके से करने का काम किया जा रहा था.
उनकी वैल्यू बढ़कर वित्तीय साल 2023-24 में 3.6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है. आप इससे ही अनुमान लगा सकते हैं कि कुछ वर्षों में देश में डिजिटल पेमेंट की स्वीकार्यता कितनी अधिक बढ़ी है. लोग बड़े पैमाने पर डिजिटली पेमेंट करने का काम कर रहे हैं. इसके साथ ही भारत में खुदरा पेमेंट के डिजिटल होने की व्यापकता का अनुमान भी इसी बात से लगाने का काम कर सकते हैं.
जानिए कब हुई थी यूपीआई की शुरुआत
जानकारी के लिए बता दें कि भारत में यूपीआई का आगाज वर्ष 2016 में हुआ था. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम ने इसे काफी विकसित करने का काम किया था. चंद सेकेंड में दूसरे बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा प्रदान करता है. इसके साथ ही यूपीआई की दुनिया भर में सराहना भी की गई है. भारत में डिजिटल पेमेंट को आगे बढ़ाने में यूपीआई का योगदान सबसे बड़ा माना जाता है. वहीं, इकोनॉमी में भारत का ई-कॉमर्स बाजार का विस्तार भी लगातार होता जा रहा है.