Did Maharashtra government act biased with North Indian laborers?: क्या महाराष्ट्र सरकार ने उत्तर भारतीय मजदूरों के साथ किया सौतेला व्यवहार? लाठियां भांजकर एकत्रित मजदूरों को किया तितर-बितर

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मुंबई में लॉकडाउन वन के आखिरी दिन यानी 14 अप्रैल को एकाएक हजारों की संख्या में गरीब बेसहारा मजदूर अपने घर वापसी के लिए ब्रांदा स्टेशन पर जमा हो गए। उनके दिलों में अपने घरों की ओर वापसी की चाह थी। हो भी क्यों न जब दो जून की रोटी के लाले पड़े हों जब पेट में आग लगी और कोई रास्ता नजर न आ रहा हो तब अपने घर वापसी ही एक रोशनी की किरण होती है। ब्रांदा स्टेशन पर जुटे हजारों मजदूर अपने गृह राज्य यूपी और बिहार जानेको आतुर थे। लेकिन मुंबई पुलिस ने उनके साथ कोई हमदर्दी दिखाना मुनासिब समझा और न ही उनके दर्द को समझने की कोशिश की। इन बेसहारा और परेशान मजदूरों पर मुंबई पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।

जबकि इसी तरह की स्थति यूपी के गाजियाबाद में भी बनी थी तब उन हजारों मजदूरों के लिए एक हजार बसों का इंतजाम किया गया था और उन्हें उनके घर तक पहुंचाया गया था। महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के साथ सौतेला व्यवहार किया गया। उन गरीब-बेसहारा मजदूरों को लाठियां खानी पड़ी। बता दें कि जब दिल्ली में तमाम राज्यों के प्रवासी मजदूर अपने घर पहुंचनेके लिए आनंद विहार पहुंच गए थे तब दिल्ली पुलिस ने मानवता दिखाई थी। अमित शाह के गृह मंत्रालय ने इस पर गंभीर रुख अपनाया मगर प्रवासी मजदूरों के दर्द को भी समझा था। गृह मंत्रालय ने अपने अफसरों को दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अफसरों के साथ मिलकर सभी व्यवस्थाएं करने के आदेश दिए थे और इन मजदूरों को सुरक्षित इनके घरों तक पहुंचाया गया और अन्य सुविधाओं का भी ध्यान रखा गया था। उद्धव ठाकरे सरकार की मुंबई में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला।

 

सहयोग का विश्वास दिलाने में असफल रही राज्य सरकार : अमरजीत मिश्र
मुंबई बीजेपी के महामंत्री अमरजीत मिश्र ने कहा है कि मुंबई में श्रम संस्कृति के वंशजों को राज्य  सरकार यह विश्वास दिलाने में असफल रही है कि उन्हें संकट के समय कोई सहयोग मिलेगा।  मजदूर व गरीब वर्ग के लोगों को अब तक अस्थायी छत व भोजन की व्यवस्था भी सरकार नहीं कर पाई है। इतना ही नहीं सरकार के कोई भी मंत्री, हिंदी भाषी समाज के ऑटो टैक्सी ड्राइवर, फेरी वाले, वाचमेन आदि आर्थिक रुप से कमजोर लोगों लोगों की तकलीफ को समझने के लिए संवाद भी नहीं कर रहे हैं। दो वक्त की रोटी भी जब मुनासिब नहीं हो रही, तो लोग यूपी-बिहार जाने के लिए उत्सुक होंगे ही। उन्होंने कहा है कि बेबस लोगों के दर्द को राज्य सरकार तत्काल समझे और उन्हें फ्री राशन देने के साथ ही एक सम्मानजनक राशि उनके खातों में जमा करवाए। साथ ही कहा कि इसके उल्ट उत्तर प्रदेश सरकार अधिक संवेदनशील होकर मुंबई-महाराष्ट्र के उत्तर भारतीयों की मदद कर रही है।

Maharashtra Migrant Labour Assemble: महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के साथ सौतेला व्यवहार, गरीब-बेसहारा मजदूरों को क्यों खानी पड़ी लाठियां?