धर्म आराधना स्वाध्याय एक तप है : मधुबाला

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Dharma worship self-study is a penance: Madhubala

आज समाज डिजिटल, रोहतक:

तेरापंथ भवन ग्रीन रोड पर पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन स्वाध्याय दिवस पर उपासिका मधुबाला जैन ने अपने संबोधन में कहा कि स्वयं की खोज के साथ स्वाध्याय का जन्म होता है, जो अपने से अनजान है वह चांद सितारों को जानकर क्या करेगा।

भाग्य बदलने वाला बनाएगा देश का भविष्य

जो स्वयं के भाग्य को बनाना और बदलना नहीं जानता। वह दुनिया का क्या भला करेगा। स्वाध्याय वह दर्पण है, जिसमें अपने रूप को देखकर उसे संवारने की व्यवस्था की जा सकती है। मुझे चरित्र -निर्माण की दिशा में कौन सा उपाय काम में लेने चाहिए। यह विचार स्वाध्याय से उभरता है। जो केवल औरों को समझाने के लिए पढ़ता है। वह स्वाध्याय नहीं कहलाता वह कोरा अध्याय है ज्ञान का संग्रह है। स्वयं को समझने के लिए एक श्लोक पर्याप्त है। ये सारे शस्त्र और शास्त्र आत्मविजय के लिए नहीं अपितु लोक विजय के लिए है। स्वाध्याय एक तप है। उपासिका गुलाब देवी जैन ने कहा कि गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में लिखते हैं।

देश की तस्वीर बदलेंगे ज्ञानी नेता

यदि आज के राजनेता, समाज नेता, साधु संतों की अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय करते रहे तो मुझे पक्का विश्वास है कि देश की तस्वीर बदल जाएगी। सुविधाएं अपने घर में झाड़ू लगाने जैसा है। भगवान महावीर ने बारह प्रकार के तप बताएं है जिसमें एक स्वाध्याय। स्वाध्याय एक ऐसा प्रयोग है जिसकी प्रतिदिन आराधना करने से विरक्ति का भाव जागता है। स्वाध्याय स्वयं एक प्रायश्चित है आज तक जितनी प्रायश्चित विधियां प्रचलित रही है। उसमें स्वाध्याय सबसे ज्यादा प्रचलित है। स्वाध्याय सबसे सुगम और महत्वपूर्ण माना जाता है। पर्यूषण पर्व में तेरापंथ भवन में अखंड णमोकार महामंत्र का जाप भी चल रहा है। इससे सभी समाज के लोग अपनी अंतरात्मा को शुद्ध करने का काम कर रहे हैं।

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