Dharamshala News : यह एक ऐसा अवसर है जब हम देश के उस महान नेता को स्मरण करेंगें-त्रिलोक कपूर

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भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जन्म जंयती

यह एक ऐसा अवसर है जब हम देश के उस महान नेता को स्मरण करेंगें-त्रिलोक कपूर

Dharamshala News : आज समाज-धर्मशाला। भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जन्म जंयती है, यह एक ऐसा अवसर है जब हम देश के उस महान नेता को स्मरण करेंगे, जिसने आजाद भारत के अन्दर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। ये उद्गार भाजपा प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर ने व्यक्त किये।

स्वर्गीय जवाहर लाल ने नेहरू अपने राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग करते हुए कांग्रेस पार्टी की सरकारों को निरन्तर बनाने में उसका उपयोग किया

उन्होने कहा कि भारत आजादी के बाद केवल और केवल कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में था, क्योंकि 1947 से पहले आजादी का नेतृत्व श्रद्धेय मोहन दास कर्मचन्द गांधी के हाथ में था और कांग्रेस पार्टी अर्थात राजनीति दल न होकर आजादी का आन्दोलन था, परन्तु 1947 के बाद कांग्रेस का नेतृत्व स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू के हाथ में आया, उन्होनें आजादी की उस लड़ाई को अपने राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग करते हुए कांग्रेस पार्टी की सरकारों को निरन्तर बनाने में उसका उपयोग किया। अटल बिहारी जी पहले वो शख्स बने जिन्होंने भारतीय चिन्तन, भारतीय विचार, भारतीय सोच, भारतीय दृष्टिकोण को लेकर सरकारें चलनी चाहिए इस बात की पैरवी की।

किसी भी पार्टी से सम्बन्ध रखने वाला व्यक्ति हो, सामान्य समाज के व्यक्ति हो, वो अटल जी को सुनने के लिए ललायित रहता था

उन्होने कहा कि डा0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी और पं० दीनदयाल उपाध्याय के द्वारा खड़े किये गये भारतीय जनसंघ का नेतृत्व 1950 के दशक में अटल बिहारी वाजपेयी जी के हाथ में आया और 1957 में पहली बार लोक सभा में सांसद के रूप में पहुँचे और उनकी जो आभा थी, उनकी जो वाककला थी, उनकी जो भाषणकला थी, उनका जो कवि हृदय था,

उसने पूरे देश को बरबस अपनी ओर आकर्षित किया। जब तक अटल जी जीवित रहे सक्रिय राजनीति में रहे, चाहे किसी भी पार्टी से सम्बन्ध रखने वाला व्यक्ति हो, सामान्य समाज के व्यक्ति हो, वो अटल जी को सुनने के लिए ललायित रहता था। जगह-जगह उनके कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भाग लेते थे जो भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के साथ अपना नाता नहीं रखते थे, अपितु विरोध भी रहते थे, वे भी अटल जी को सुनते थे। उनकी गुणवता के कारण ही विपक्ष का नेता रहते हुए उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व यू०एन०ओ० के अन्दर किया।

पहली बार भारत के किसी राजनेता ने, किसी अधिकारी ने विश्व पटल पर हिन्दी का उपयोग करते हुए अपनी बात को यू०एन०ओ० में रखा

उन्होने कहा कि भारतीय भाषा अर्थात हिन्दी के प्रति उनका जो स्नेह, लगाव और भारत का विकास भारतीय भाषाओं के माध्यम से ही होगा यह दृढ निश्चिय उनके मन में था। जिसके कारण जब वह यू०एन०ओ० में गए, तो पहली बार भारत के किसी राजनेता ने, किसी अधिकारी ने विश्व पटल पर हिन्दी का उपयोग करते हुए अपनी बात को रखा। 1975 में जब श्रीमती इन्दिरा गांधी ने देश में आपात काल लगा दिया और हजारों लाखों लोगों को काल कोठरी के पीछे डाल दिया, उस समय में अटल जी, आडवाणी जी और भारतीय जनसंघ के सभी वरिष्ठ नेताओं को जेल में डाला गया।