Dharamshala News : राज्यपाल ने किया वजीर राम सिंह पठानिया की प्रतिमा का अनवारण

0
797
  • राज्यपाल ने किया वजीर राम सिंह पठानिया की प्रतिमा का अनवारण
  • सशस्त्र क्रांति के पहले जननायक थे वजीर राम सिंह पठानियाः शुक्ल

(Dharamshala News) आज समाज-नूरपुर (कांगड़ा)। वजीर राम सिंह पठानिया (Wazir Ram Singh Pathania) ने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहले संगठित सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व कर लोगों को ब्रिटिश सेना के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित किया।

उनकी विरासत हमारे दिलों और दिमागों में हमेशा जिंदा रहेगी। ये उद्गार राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल (Governor Shiv Pratap Shukla) ने यहां कांगड़ा जिले के नूरपुर उपमण्डल में महानायक वजीर राम सिंह पठानिया की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम के अवसर पर कहे।

इस अवसर पर उन्होने कहा कि वजीर राम सिंह पठानिया एक महान स्वतंत्रता सेनानी (Wazir Ram Singh Pathania a great freedom fighter) , सशस्त्र क्रांति के जननायक थे, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में साहस, देशभक्ति और दृढ़ संकल्प के प्रतीक के रूप में अंकित है।

उन्होंने कहा, ‘‘आज, हम न केवल उनके असाधारण जीवन को श्रद्धांजलि देने के लिए बल्कि उनकी विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए भी एकत्र हुए हैं, जो पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी हुई है।’’

उन्होने कहा कि वजीर राम सिंह पठानिया एक बहादुर योद्धा से कहीं बढ़कर थे। उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहले संगठित सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया। 1857 के विद्रोह से बहुत पहले, वर्ष 1848 में, उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में विद्रोह का नेतृत्व किया और लोगों को ब्रिटिश सेना के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा कि शाहपुर में उनकी लड़ाई उनकी सैन्य कुशलता और अपने लोगों के लिए स्वतंत्रता की उनकी अथक खोज का प्रमाण है। उन्होंने मुट्ठी भर साथियों के साथ अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिलाकर रख दी थी।

उन्होने कहा कि अंग्रेजों ने षड्यंत्र कर वजीर राम सिंह पठानिया को गिरफ्तार किया और आजीवन कारावास की सजा सुनाकर कालापानी भेज दिया।

उसके बाद उन्हें रंगून भेजा गया और उन पर काफी अत्याचार किए गये। 11 नवंबर 1849 को मात्र 24 साल की उम्र में वह वीरगति को प्राप्त हो गए।

उन्होंने कहा कि उनका और उनके साथियों का बलिदान हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम की आधारशिला है। उन्होंने बाद के आंदोलनों की नींव रखी, जिसके कारण अंततः भारत को स्वतंत्रता मिली।

उन्होंने कहा कि वजीर राम सिंह पठानिया की जीवन कहानी हमें न्याय, स्वतंत्रता और इस महान राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक के कल्याण के लिए प्रयास करने का आग्रह करती है।

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के पहले स्वतंत्रता सेनानी और सशस्त्र क्रांति के नेता के रूप में, उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायक है।

उन्होने कहा, ‘‘यह प्रतिमा न केवल हमें प्रेरित करेगी बल्कि वजीर राम सिंह पठानिया की अदम्य भावना का प्रमाण भी बनेगी।

उनकी विरासत हमारे दिलों और दिमागों में हमेशा जिंदा रहेगी, और उनकी कहानी हमारे महान राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि में योगदान देने के लिए कई और लोगों को प्रेरित करती रहेगी’’।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त किए।

इससे पूर्व, कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं भारतीय तट रक्षक बल के पूर्व महानिदेशक वीरेन्द्र सिंह पठानिया ने राज्यपाल का स्वागत किया।

इस अवसर पर सांसद राजीव भारद्वाज एवं इंदु गोस्वामी, विधायक रणवीर सिंह निक्का, हंसराज और जनक राज, वजीर राम सिंह पठानिया स्मारक समिति के अध्यक्ष वीर सिंह, पूर्व मंत्री राकेश पठानिया,पूर्व सांसद किशन कपूर, पूर्व विधायक रीता धीमान,पूर्व विधायक अर्जुन ठाकुर, पूर्व विधायक राजेश ठाकुर तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।