Dharamshala News : कांग्रेस के शिक्षा मंत्री सरकारी स्कूलों को बंद कर चैंपियन बनना चाहते है : कपूर

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कांग्रेस के शिक्षा मंत्री सरकारी स्कूलों को बंद कर चैंपियन बनना चाहते है : कपूर

Dharamshala News : आज समाज-धर्मशाला। भाजपा प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर ने कहा कि कांग्रेस के शिक्षा मंत्री सरकारी स्कूलों को बंद कर साथ ही स्कूलों का विलय कर चैंपियन बनना चाहते है। हिमाचल प्रदेश में जनता का विश्वास सरकारी स्कूलों से उठ रहा है, जो बच्चे स्कूल जाते थे अब उन्होंने नए स्कूलों में भर्ती लेकर काफी दूरी तय कर शिक्षा संबंधित जाना पड़ रहा है साथ ही बड़ी संख्या में बच्चों स्कूलों में दाखिला नहीं ले पा रहे है। सरकार जन विरोधी और जन असुविधा वाले सभी निर्णय एक साथ ले रही है।

सरकार मानती है कि बच्चों को असुविधा हुई

उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में बीते कुछ समय के दौरान बंद या मर्ज हुए 1094 स्कूलों में पढ़ने वाले 674 बच्चों ने अन्य जगह दाखिले ले लिए हैं। दाखिले नहीं लेने वाले 60 बच्चों की पहचान करने का काम जारी है। इसका मतलब है कि सरकार मानती है कि बच्चों को असुविधा हुई है, इनमें अधिकांश बच्चे जिला शिमला में थे। जिला उपनिदेशक इस बारे में पूरी जानकारी जुटा रहे हैं पर उनकी गति भी काफी धीमी दिखाई दे रही है। सरकार की प्राथमिकता है कि यहां रहने वाले वाले हर बच्चे को शिक्षा का न अधिकार प्राप्त हो, पर सरकार के सभी निर्णय अपनी वाणी विपरीत है।

प्रदेश की सरकारी स्कूलों में दोपहर पर पकने वाले मिड-डे मील की जानकारी न भेजने पर 93 स्कूलों को नोटिस जारी किए गए

उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकारी स्कूलों में दोपहर पर पकने वाले मिड-डे मील की जानकारी न भेजने पर 93 स्कूलों को नोटिस जारी किए गए हैं। इसमें 31 वरिष्ठ माध्यमिक 40 माध्यमिक पाठशाला और 22 हाई स्कूल ऐसे हैं, जिन्होंने जरूरी जानकारी शिक्षा विभाग को नहीं भेजी है। दरअसल स्कूलों में पीएम पोषण योजना के तहत यह नियम लागू किया गया है कि दोपहर में बच्चों को किस तरह का खाना परोसा जाता है, उसकी रियल टाइम रिपोर्टिंग हर रोज एसएमएस के जरिए शिक्षा निदेशालय को भेजनी है। इसके लिए टोल फ्री नंबर 15544 भी जारी किया गया है, जिसमें हर रोज परोसे आने वाले खाने की रिपोर्ट और कुल बच्चों की संख्या का आंकड़ा इस एसएमएस के जरिए भेजा जाएगा। लेकिन यह स्कूल इस नियम को फॉलो नहीं कर रहे हैं।

सरकार और सरकार के अधिकारी अपने कार्य को गंभीर नहीं है जिससे यह साथ दिख रहा है कि सरकार का अपने अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है।