देवोत्थान एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार माह बाद निद्रा से जागते है
Dev Uthani Ekadashi (आज समाज) गुरुग्राम: दीपावली, गोवर्धन, भाई दूज आदि त्योहारों की समापन के बाद चातुर्मास पूरा हो जाएगा। 12 नवंबर मंगलवार को देवउठनी एकादशी है, जिससे सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि देवउठनी या देवोत्थान एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार माह बाद निद्रा से जागते हैं और शुभ व मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। शास्त्रों में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है।
बताया जाता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी को भगवान श्री हरि विष्णु 4 माह के लिए क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ. मनोज शर्मा का कहना है कि प्रबोधिनी एकादशी या देवउठनी या देवोत्थानी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा होती है। भगवान विष्णु से जागने का आह्वान किया जाता है। इस दिन प्रात: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाएं, लेकिन धूप में चरणों को ढक दें। इसके बाद एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल, मिठाई, मौसमी फल और गन्ना रखकर डलिया से ढक दें।
रात्रि में भगवान विष्णु व अन्य देवी-देवताओं की करनी चाहिए पूजा
रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाए जाने चाहिए और पूरे परिवार के साथ रात्रि में भगवान विष्णु और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए। शाम की पूजा में भगवत कथा और पुराणादि का श्रवण व भजन आदि किया जाना चाहिए। इसके बाद भगवान को शंख, घंटा-घडियाल आदि बजाकर उठाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि इस दिन व्रत रखने से बड़े से बड़ा पाप भी व्रतियों का नष्ट हो जाता है।
यह भी पढ़ें : डीएपी खाद के लिए किसान का आत्महत्या करना सरकार के लिए शर्म की बात: कुमारी सैलजा