Devuthani Ekadashi : श्री विष्णु भगवान मन्दिर में महिलाओं ने तुलसी की पूजा कर मनाई देवउठनी एकादशी

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तुलसी की पूजा कर मनाई देवउठनी एकादशी
तुलसी की पूजा कर मनाई देवउठनी एकादशी
  • धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ तुलसी औषधीय गुणों से भी भरपूर – शंकर

Aaj Samaj (आज समाज), Devuthani Ekadashi, नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
रेलवे रोड़ स्थित श्री विष्णु भवान मन्दिर में वीरवार को महिलाओं ने देवउठनी एकादशी के उपलक्ष में तुलसी पूजन किया। मंत्रों से तुलसी का आवाहन करके धूप, दीप, रोली, सिंदूर, चंदन, नैवेद्य व वस्त्र अर्पित किए। महिलाओं ने मां तुलसी को सुहाग का सामान और लाल चुनरी उड़ाकर गमले में प्रभु शालिग्राम को साथ रखकर, तिल चढ़ाकर तुलसी और भगवान शालिग्राम को दूध में भीगी हल्दी का तिलक लगाकर पूजा की तथा मंगल गीत गाये। पूजा के बाद 108 बार श्री विष्णु भगवान एवं तुलसी जी की परिक्रमा की तथा मिठाई और प्रसाद का भोग लगाया।

पूजा समाप्त होने पर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान किया तथा पूजा अर्चना की। मन्दिर प्रभारी शंकर लाल ने सभी को देवउठनी एकादशी की कथा सुनाई। माना जाता है कि जिस घर में तुलसी जी की रोजाना पूजा होती है उस घर में कभी दरिद्रता का वास नहीं होता। माना जाता है कि जो साधक देवउठनी एकादशी के विशेष मौके पर तुलसी माता और भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम जी का विवाह करवाता है उसके परिवार में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है।

मन्दिर प्रभारी शंकर लाल ने बताया कि देवउठनी एकादशी, जिसे तुलसी विवाह एकादशी भी कहा जाता है, विष्णु भगवान को समर्पित होने वाले मंदिरों में विशेष रूप से मनाया जाता है। महिलाएं इस दिन मंदिर में जाकर श्री विष्णु भगवान की पूजा और आराधना करती हैं, और तुलसी माता को विशेष भक्ति भाव से पूजती हैं। तुलसी को हिन्दू धर्म में पवित्रता, शक्ति, और भक्ति का प्रतीक माना जाता है, और उसकी पूजा को विशेष आदर से की जाती है।

महिलाएं तुलसी के पौधे को सजाकर उसे समर्पित करती हैं। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से व्रत रखती हैं और पूजा के बाद प्रसाद को साझा करती हैं। तुलसी की पूजा से उन्हें धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से शक्ति मिलती है और इसे एक धार्मिक उत्सव के रूप में मनाने से घर में शांति और समृद्धि का आभास होता है। तुलसी पूजा को विशेष रूप से महिलाएं करती हैं क्योंकि तुलसी को माता माना जाता है और इसे पूजने से घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।

यह पर्व भारतीय सांस्कृतिक तथा धार्मिक परंपराओं में गहरी आदर्शिता के साथ मनाया जाता है और लोग इसे विशेष धार्मिक उत्सव के रूप में मानते हैं। मन्दिर प्रभारी शंकर लाल ने यह भी बताया कि कहा जाता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता तुलसी का विवाह होता है। इसलिए हर सुहागन स्त्री को तुलसी विवाह जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

तुलसी का औषधीय महत्व

शंकर लाल ने बताया कि धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ तुलसी औषधीय गुणों से भी भरपूर है। आयुर्वेद में तो तुलसी को उसके औषधीय गुणों के कारण विशेष महत्व दिया गया है। तुलसी ऐसी औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों में काम आती है। इसका उपयोग सर्दी-जुकाम, खांसी, दंत रोग और श्वास सम्बंधी रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। तुलसी विटामिन और खनिज का भंडार है। इसमें मुख्य रूप से विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन और क्लोरोफिल पाया जाता है। इसके अलावा तुलसी में सिट्रिक, टार्टरिक एवं मैलिक एसिड पाया जाता। जो विभिन्न रोगों के रोकथाम के लिए भी उपयोगी है।

इस दौरान शशि बाला, उर्मिला देवी, माया देवी, अंजू देवी, रेखा गर्ग, मीरा देवी, सिना, डिंपल, केशर देवी, रेखा कौशिक, मनभावती, ललिता देवी, ममता देवी, राधा रानी, मुस्कान, मुगलेश, रेखा माधोगढ़िया, बबीता बंसल, मनीषा बंसल, संतोष देवी, रामप्यारी, गीता, संतोष, शशि यादव, मोनिका, अलका सहित अनेक महिलाओं ने पूजा-अर्चना की।

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