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Devi Skandamata Ki Vrat Katha: पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं देवी हैं स्कंदमाता। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुासर, इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। वहीं, यह भी है मना जाता है कि इनकी पूजा करने से संतान योग की प्राप्ति होती है। जानिए नवरात्रि के पांचवे दिन की पूजा विधि, व्रत कथा, आरती व मंत्र।
मां स्कंदमाता की पूजा विधि (Devi Skandamata Ki Vrat Katha In Hindi)
नवरात्रि के पांचवें दिन सबसे पहले प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। उसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थान में चौकी पर स्कंदमाता की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। गंगाजल से शुद्धिकरण करें फिर एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्के डालें और उसे चौकी पर रखें। अब पूजा का संकल्प लें। इसके बाद स्कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाएं और नैवेद्य अर्पित करें। अब धूप-दीपक से मां की आरती उतारें और आरती के बाद घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटें और आप भी ग्रहण करें। स्कंद माता को सफेद रंग अत्यंत प्रिये है इसलिए आप स्वयं सफेद रंग के कपड़े पहन कर मां को केले का भोग अवश्य लगाएं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से मां निरोगी रहने का आशीर्वाद देती हैं।
मां स्कंदमाता की कथा (Devi Skandamata Ki Vrat Katha)
कार्तिकेय को पुराणों में सनत-कुमार, स्कन्द कुमार आदि नामों से जाता है। कार्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है। मां अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं। पर्वतराज की बेटी होने के कारण इन्हें पार्वती भी कहते हैं और भगवान शिव की पत्नी होने के कारण इनका एक नाम माहेश्वरी भी है। इनके गौर वर्ण के कारण इन्हें गौरी भी कहा जाता है। मां को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है जो अपने पुत्र से अत्याधिक प्रेम करती हैं। मां कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं इसलिए इन्हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है।
मां स्कंदमाता के मंत्र (Mata Skandamata Ki Stuti Karne Ka Mantra In Hindi)
- सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया.
- शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
- ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
मां स्कंदमाता की आरती (Skandamata Ki Aarti )
- जय तेरी हो स्कंदमाता, पांचवां नाम तुम्हारा आता
- सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी
- तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं
- कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा
- कही पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा
- हर मंदिर में तेरे नजारे, गुण गाये तेरे भगत प्यारे
- भगति अपनी मुझे दिला दो, शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
- इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे
- दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
- दासो को सदा बचाने आई,‘चमन’ की आस पुजाने आई
- जय तेरी हो स्कंदमाता, पांचवां नाम तुम्हारा आताRead Also: श्री बावा लाल जी मंदिर के मूर्ति स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया: Shri Bawa Lal Ji Temple
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