Aaj Samaj (आज समाज),Devi Chitralekha – Third Day Of Shrimad Bhagwat Katha,पानीपत : जब आपके जीवन में आपको सद्गुरु मिल जाए तो समझ लेना कि अब ये गोविन्द का इशारा है कि गुरु तो आ गए हैं अब गोविन्द भी आने वाले हैं। अब उनकी भी कृपा होने वाली है। सद् ये शब्द कोई सस्ता नहीं है ये कोई खरवड हुआ शब्द नहीं है “सद्गुरु” सद्गुरु दीन्ही ऐसी नजरिया, हर कोई लागे मीत रे …ये दृष्टि सिर्फ सद्गुरु से ही प्राप्त हो सकती है। इसलिए जब जीवन में सद्गुरु धारन हो जाये तो समझ लेना अब प्रभु बहुत प्रसन्न है हमसे हम पर भी कृपा बरसने लगी हैं। सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस में पूज्या देवी चित्रलेखा ने अपनी मधुर वाणी से श्रवण कराते हुए कहा कि जीव जन्म लेते ही माया में लिपट जाता है। और माया में लिपट जाने के कारण जीव अपने कल्याण के लिए कुछ नहीं कर पाता। वह जैसे जैसे कर्म करता जाता है वैसे वैसे फल उसे भोगने पड़ते हैं।
बताया के मृत्यु के बाद जीव को 28 नरकों में से अपने कर्म के अनुसार किसी को भोगना पड़ता है तामिस्, अंध्र तामृस्, शैरव, माहरोख, काल असि पत्रवन इत्यादि 28 प्रकार के नरक हैं। और फिर अजामिल उपाख्यान की कथा, अजामिल जिसने जीवन भर पाप कर्म किये हर प्रकार से वह दुष्कर्मी था मगर घर आये संतों की एक बात मान कर अपने पुत्र का नाम उसने नारायण रख दिया और जीवन के अंत समय में अपने पुत्र के प्रति मोह के कारण नारायण नारायण पुकारने के कारण ही उसे जो यमदूत लेने आये थे वो उसे यमलोक न ले जा सके और वह गौलोक वासी हुआ। तात्पर्य ये है की जीव को भगवान् नाम के प्रति सच्ची आस्था रखनी चाहिए। फिर वह नाम चाहे आलस में ले या भाव से ले। इसके बाद देवीजी ने गुरु और शिष्य के बंधन पर प्रकाश डाला कहा कि सच्चे गुरु और शिष्य के सम्बन्ध का उद्देश्य सिर्फ भगवद् प्राप्ति होती है, जो शिष्य अपने सद्गुरु की अंगुली पकड़ कर भक्ति करता है निश्चित ही वह भगवान् को पा लेता है।
इसके पश्चात सुखदेव ने राजा परीक्षित को सृष्टि प्रकरण का वर्णन श्रवण कराया की कैसे कैसे इस सृष्टि की रचना हुई और कथा विश्राम से पूर्व भगवान् के सबसे कम उम्र के भक्त प्रह्लाद महाराज की कथा सुनाई। प्रह्लाद जी जो मात्र 5 वर्ष की उम्र में भगवान को पाने के लिए अकेले जंगल में चले गए। उन्हें स्वयं नारद जी ने गुरु बन कर जाप मंत्र दिया। और इस मंत्र का जाप करते हुए जब भक्ति की सबसे ऊंची स्थिति पर प्रह्लाद पहुंच गए तब स्वयं नारायण ने पधारकर प्रह्लाद जी को दर्शन दिए। साथ ही साथ हरिनाम नाम के जाप पर विशेष चर्चा करते हुए बताया की हरि नाम सर्वोपरि हैं, मनुष्य को हरिनाम नहीं भूलना चाहिए। इस प्रकार कथा के प्रसंगों को कह के कथा के तृतीय दिवस को विश्राम दिया गया।
कल कथा के चतुर्थ दिवस में भगवान् के भक्तो की कथा और भगवान् के 24 अवतारों में से विशेष श्री वामन अवतार और भगवान् राम जन्म की कथा व कृष्ण जन्मोत्सव् मनाया जाएगा। रमेश जांगड़ा,श्रीनिवास वत्स, संजय सिंह, अंकित गोयल, सुभाष कंसल, बबलु राणा, प्रदीप झा, सुनील शर्मा, राजेश कुमार, मनोज जैन, राजपाल शर्मा, रजत नायक, प्रदीप गुप्ता, आशु गुप्ता, कपिल गोयल, बाकी और संस्था के सभी पदाधिकारी कथा में मुख्य रूप से मौजूद रहे।