Devi Chitralekha – Katha 7th Day : सच्चा वैष्णव दुख हो या सुख दोनों परिस्थिति में समान रहता है : देवी चित्रलेखा

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Devi Chitralekha - Katha 7th Day

Aaj Samaj (आज समाज),Devi Chitralekha – Katha 7th Dayपानीपत : सुख में मनुष्य सरकती रेती जैसा बन जाता है, समय कब बीत गया पता ही न चला और दुख में मनुष्य के हृदय में कांटा जैसा चुभता है, लेकिन दोनों ही स्थिति में वैष्णव को स्थिर रहना चाहिए। जीवन में कई बार बहुत सारी ऐसी बातें होती हैं जो हमे अच्छी नहीं लगती हैं लेकिन तब भी ये विश्वास रखना चाहिए कि भगवान जो करे सो भली करे। जिस प्रकार मां बाप अपने संतान की रक्षा करते हैं उसी प्रकार अपने भक्तों की रक्षा भी भगवान करते हैं।

कथा के सप्तम दिवस में आज पूज्या देवी चित्रलेखाजी ने कथा आरंभ करते हुए भगवान के 16,108 विवाह का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान की 8 मुख्य पटरानी हुए और बताया कि एक भौमासुर नामक दैत्य 1,00,000 कन्याओं के साथ विवाह करने के उद्देश्य से उन्हें बंदी बना कर रख रहा था। तब उन कन्याओं के जीवन की रक्षा के लिए भगवान् ने उस दैत्य का संहार किया और उन कन्याओं को कैद से बचाया मगर जब कन्याओं ने कहा कि इतने वक़्त परिवार से दूर रहने के बाद उन्हें कौन स्वीकार करेगा। तो उन्हें इस लांछन से बचाने के लिए भगवान् ने उन 16,100 कन्याओं से विवाह किया।

 

 

Devi Chitralekha - Katha 7th Day

 

इसके बाद परीक्षित ने सुखदेव से भगवान के भक्त और परम मित्र की कथा सुनाने का आग्रह किया और सुखदेव जी ने उन्हें सुदामा महाराज की कथा सुनाई बताया कि सुदामा नाम के एक गरीब ब्राह्मण जिनकी प्रारंभिक शिक्षा भगवान् कृष्ण के साथ एक गुरुकुल में हुई थी। सुदामा जी एक विरक्त ब्राह्मण थे। अपनी हर स्थिति परिस्थिति के लिए भगवान् को ख़ुशी ख़ुशी धन्यवाद देने वाले। आज अपनी परिस्थितियों में अपनी पत्नी के कहने पर भगवान् से मिलने गए और जब घर वापस आये तो भगवान् ने कृपा कर के उनकी झोपड़ी की जगह आलिशान महल बना दिया पर वो आदर्श सुदामा जी उस महल के त्यागकर उसके नजदीक एक कुटिया बना कर रहे और जीवन यापन किया।

इसके पश्चात कथा के मुख्य प्रसंगों को श्रवण करा के कथा सार सुनाया और फिर शाप की अवधि के अनुसार सुखदेव जी ने वहां से प्रस्थान किया परीक्षित जी ने खुद को भगवान में लीन कर लिया और तक्षक नाग ने उन्हें डंसा। इस सब के पश्चात कथा के विश्राम से पहले फूल होली का उत्सव हुआ और महा आरती के साथ सप्तम दिवस की कथा को विश्राम दिया गया ।मंच संचालक हरीश चुघ ने श्री राधा कृष्ण परिवार इस सप्ताह की श्रीमद् भागवत कथा का सफल आयोजन पर सभी मेंबरों को कहा बधाई के पात्र हैं आप सभी ने मिलकर बहुत सुंदर आयोजन किया, और सभी प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया देवी मंदिर सभा और प्रशासन के सभी अधिकारी, सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं  का आभार एवं धन्यवाद व्यक्त किया और सभी को शुभकामनाएं।

 

आज के मुख्य अतिथि सियाराम गुप्ता के पुत्र विकास गुप्ता, मुख्य अतिथि ईश्वर गोयल जी, रमेश जांगड़ा, श्रीनिवास वत्स, संजय सिंह, अंकित गोrयल,  सुभाष कंसल, बबलु राणा,  कपिल गोयल, मनोज जैन, सुनील शर्मा, राजेश कुमार, राजेश सैनी, जय कुमार, प्रदीप गुप्ता, रिंकू बंसल, साहिल सावरिया, हरीश चुघ, बाकी और संस्था के पदाधिकारी मुख्य रूप से मौजूद रहे।

 

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