Devi Chitarlekha- Katha 6tha Day : स्वयं में बहोत सी कमियों के बावजूद यदि हम स्वयं से प्रेम कर सकते है,तो फिर दूसरों में थोड़ी बहोत कमियों की वजह से घृणा कैसे कर सकते है  : देवी चित्रलेखा

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Devi Chitarlekha- Katha 6tha Day

Aaj Samaj (आज समाज),Devi Chitarlekha- Katha 6tha Day, पानीपत : समाज की मानसिकता ने ही गोपियों को मज़बूर किया की वो अब एक राक्षस की कैद से बहार आने के बाद वापस घर न जाए। समाज की नज़रों में वो कलंकित थी।  भगवान् की भक्ति कीजिए जिनका नाम सूर्य के समान है। जिस प्रकार सूर्य के किंचित उदय होने पर रात्रि का अन्धकार दूर हो जाता है, उसी प्रकार कृष्ण-नाम का थोड़ा-सा भी प्राकट्य अज्ञान के सारे अन्धकार को, जो विगत जन्मों में सम्पन्न बड़े-बड़े पापों के कारण हृदय में उत्पन्न होता है, दूर भगा सकता है।

 

 

Devi Chitarlekha- Katha 6tha Day

 

कथा के छठवें दिवस में पूज्या देवी चित्रलेखा ने भगवान के दवारा की गई लीलाओं का श्रवण कराते हुए बताया कि ब्रज में की गयी भगवान की लीला स्वयं नारायण भी नहीं कर सकते। इन लीलाओं के द्वारा भक्तों को रिझाना सिर्फ भगवान कृष्ण ही कर सकते हैं  और वृन्दावन भगवान का घर हुआ इसलिए प्रभु ने सब लीलाओं को एक साधारण बालक की तरह किया। और इस नन्हे से बालक ने अपनी मनमोहक लीलाओं के द्वारा गोपियों का मन ऐसा मोहा के गोपियों को अब न भोजन की सुध रहती है न अपने परिवार की और न ही किसी काम धाम की। गोपियाँ दिन रात कन्हैया का दर्शन करने को लालायित रहती हैं और मैया यशोदा के घर किसी न किसी बहाने के साथ जा के गोविंद का दर्शन करतीं।

देवीजी ने कथा विषय में आगे बरुण लोक से नन्द बाबा को छुड़ाकर लाने की कथा, और अन्य कथाओ का श्रवण कराते हुए रास लीला का कथा का वर्णन श्रवण कराया की जब भगवान् ने वंशी बजा के गोपियों को अर्धरात्रि में में निमंत्रण दिया और सभी गोपियाँ अपना घर बार छोड़कर भगवान् के समीप पधारी। भगवान् ने सभी गोपियों की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए उन्हें घर जाने को कहा मगर गोपियाँ ने भगवान् से ही प्रश्न किया कि संसार प्रभु प्राप्ति के लिए लाखों प्रयत्न करता है और फिर प्रभु की शरण में आता है।

 

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मगर हम जब आपको प्राप्त कर ही चुके है तो आप हमें दोबारा संसार सागर में जाने को क्यों कहते हो ? गोपियों की बात मान कर प्रभु ने गोपियों के भीतर दंश मात्र अभिमान को मिटाने के लिए लीला की और प्रभु के अदृश्य हो जाने के कारण गोपियों ने प्रभु को मनाने के लिए अथक प्रयास किया। परंतु प्रभु नहीं आये तब विरह जब सीमा से अधिक हो गया, करोड़ों गोपियों ने एक साथ गोपी गीत गाया। प्रभु प्रकट हुए और प्रभु के एक स्वरुप के साथ 2 गोपियों ने महारास किया। इसके पश्चात प्रभु के मथुरा गमन की कथा, प्रभु की शिक्षा, उद्धव संवाद, मामा कंस वध आदि कथा का श्रवण करा कर भगवान कृष्ण और माता रुक्मिणी के विवाह की कथा कह कर कथा के छठवें दिवस को विश्राम दिया। आज के मुख्य अतिथि बुल्ले शाह के सुपुत्र विपुल शाह और विकास पाहवा, मुख्य अतिथि गोपाल तायल, रमेश जांगड़ा, श्रीनिवास वत्स, संजय सिंह, अंकित गोयल,  सुभाष कंसल, बबलु राणा,  कपिल गोयल, मनोज जैन, राजपाल शर्मा, पवन सिंघला, आशु गुप्ता, प्रदीप गुप्ता, कपिल गोयल, सुनील शर्मा ,साहिल सावरिया, प्रदीप झा, हरीश चुघ, बाकी और संस्था के सभी पदाधिकारी कथा में मुख्य रूप से मौजूद रहे।

 

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