Dev Diwali 2024, (आज समाज), वाराणसी: आज देव दीपावली (Dev Deepawali) यानी देवताओं की दिवाली है। विश्व प्रसद्धि तीर्थस्थल व भोलेनाथ की नगरी काशी (वाराणसी) में इस मौके पर भव्य तैयारी की गई है। बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है। इससे पहले कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी को छोटी दिवाली और अमावस्या को दिवाली मनाने का विधान है। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर आज सुबह से तीर्थ नगरी हरिद्वार व उत्तर प्रदेश में गंगा घाटों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान कर दान-पुण्य किया। श्रद्धालुओं ने मां गंगा की भव्य आरती भी देखी। अलसुबह से गंगा स्नान के लिए लोगों की भीड़ घाटों पर इकट्ठा हो गई थी।
देवताओं की दीपावली (Dev Deepawali) का शुभ मुहूर्त आज शाम 5:10 मिनट से शाम 7: 47 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा। ज्योतिष के अनुसार इस शुभ घड़ी में श्रद्धालु भगवान की पूजा करेंगे। इस मौके पर नमो घाट का शुभारंभ होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक भोले की नगरी में गंगा के दोनों छोर पर स्थित 84 घाट पर इस बार 12 लाख दीये जलाने की तैयारी है। इसमें 3 लाख दीये गाय के गोबर के होंगे। लेजर शो के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर ग्रीन क्रैकर्स शो आयोजित कर पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया जाएगा।
बता दें कि देव दीपावली (Dev Deepawali) का गवाह बनने के लिए देश-विदेश से लाखों की संख्या में टूरिस्ट काशी पहुंचते हैं और इस बार भी यही आलम है। कई महीने पहले होटलों में बुकिंग शुरू हो जाती है। लोग नाव की भी एडवांस में बुकिंग करवा लेते हैं। इस बार 10 लाख से अधिक पर्यटकों के आने की उम्मीद है। सभी दीप जलाकर देवताओं के साथ देव दीपावली मनाएंगे। लोकल एडमिनस्ट्रेशन और पर्यटक विभाग गंगा घाटों की साफ सफाई का पूरा ख्याल रखते हैं।
पौराणिक मान्यताओं में कहा गया है कि ऋषि मुनि और देवता दानव के आतंक से त्रस्त थे और ऐसे में वे सभी मिलकर भगवान शिव से मदद मांगने गए। शिव भगवान ने इसके बाद त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर दिया। त्रिपुरासुर के खात्मे की खुशी में सभी देवगण भोलेनाथ की नगरी काशी पहुंचे और वहां उन्होंने दीए जलाकर प्रसन्नता व्यक्त की। उस दिन कार्तिक मास की पूर्णिमा थी। इसलिए कार्तिक मास की पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है।
मां लक्ष्मी प्रसन्न मीठे जल में दूध मिक्स करके पीपल को चढ़ाएं। देव दिवाली चावल दान करने से चन्द्र ग्रह शुभ फल प्रदान करते हैं। देव दिवाली की शाम को गंगाजल में शहद व कच्चा दूध मिलकार शिवलिंग पर चढ़ाएं। घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर आम के पत्तों का तोरण बांधना चाहिए। मिश्री व गंगाजल से खीर बनाकर इसका मां लक्ष्मी को भोग लगाएं।
यह भी कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा को ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण को भी इस दिन ही आत्म बोध हुआ। इसी दिन माता तुलसी का धरती पर प्राकट्य माना जाता है। यही वजह है कि इस तुलसी के सामने भी दीपदान की परंपरा है।
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