नयी दिल्ली। पेट्रालियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग बढ़ने के बावजूद देश में वाहनों के लिये पेट्रोल और डीजल की उपयोगिता बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि र्इंधन की मांग को पूरा करने के लिये निकट भविष्य में देश की परिशोधन क्षमता 80 प्रतिशत तक बढ़ाने की जरूरत होगी। प्रधान ने एनर्जी हॉरिजन-2019 सम्मेलन में यहां कहा, ‘‘इलेक्ट्रिक वाहन प्राथमिकता है लेकिन र्इंधन की बढ़ी मांग को पूरा करने के लिये भारत चरण-छह के अनुकूल पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और जैव र्इंधन के संयुक्त उपयोग से पूरा किया जाएगा।’’ प्रधान ने कहा, ‘‘नीतियों के जरिये इलेक्ट्रिक वाहनों की बुनियादी संरचना का विकास किया जाएगा तथा उन्हें लोकप्रिय बनाया जाएगा, लेकिन इसके साथ-साथ अन्य परिवहन समाधानों की भूमिका के संदर्भ में भी रूपरेखा तैयार करनी होगी।’’
उन्होंने कहा कि देश में कच्चा तेल के परिशोधन की पर्याप्त क्षमता है लेकिन भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिये क्षमता बढ़ाने की जरूरत होगी। प्रधान ने कहा, ‘‘देश में अभी हमारे पास सालाना 25 करोड़ टन की परिशोधन क्षमता है। हालिया अध्ययनों से पता चला है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर अमल करने की आक्रामक योजना के बाद भी 2040 तक देश को 45 करोड़ टन परिशोधन क्षमता की जरूरत होगी। यदि हमने अगले कुछ साल में मांग में वृद्धि पर ध्यान नहीं दिया तो हमें कच्चा तेल के साथ में पेट्रोल और डीजल आदि का भी आयात करना पड़ जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि इस साल के अंत तक देश के तीन हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाने का अनुमान है। इससे भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वर्ष 2025 तक भारत के एशिया-प्रशांत क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने का भी अनुमान है। मंत्री ने कहा, ‘‘वर्ष 2035 तक देश में र्इंधन की खपत सालाना 4.20 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। यह विश्व की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्था की तुलना में तेज होगा।’’ उन्होंने कहा कि मजबूत आर्थिक विकास के कारण वर्ष 2040 तक कुल वैश्विक प्राथमिक र्इंधन मांग में देश की हिस्सेदारी दोगुनी होकर करीब 11 प्रतिशत हो जाएगी।