स्कूल में मूलभूत सुविधाओं के लिए प्रदर्शन

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Demonstration For Basic Facilities In The School
Demonstration For Basic Facilities In The School

इशिका ठाकुर, करनाल:
एक तरफ प्रदेश के सरकार बेहतर शिक्षण सुविधाएं प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर देने के दावे कर रही है तो दूसरी ओर स्कूलों में छात्रों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं देने में भी सरकार असमर्थ दिखाई दे रही है। कहीं स्कूलों में शिक्षकों की कमी तो कहीं स्कूलों की हालत जर्जर है। इसका ताजा उदाहरण करनाल के गांव पिचोलिया के राजकीय उच्च विद्यालय में सामने आया है ।

दोपहर दो बजे के प्रदर्शन

Demonstration For Basic Facilities In The School
Demonstration For Basic Facilities In The School

यहां छात्रों को मूलभूत सुविधाएं न मिलने के कारण स्कूल में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ा। अपने ही स्कूल के गेट के सामने प्रदर्शन करते समय छात्रों ने जहां एक और सरकार को कोसा तो वहीं दूसरी ओर मीडिया के सामने एक छात्रा भावुक हो गई और बात करते समय छात्रा की आंखों से आंसू छलक आए। छात्र छात्राएं लगातार स्कूल के गेट के सामने दोपहर 2:00 बजे तक प्रदर्शन करते रहे लेकिन प्रदर्शन कर रहे छात्रों की सुध लेने के लिए कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।

नारी सशक्तीकरण के नारे को बताया झूठा

Demonstration For Basic Facilities In The School
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दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा दीपिका ने बताया कि उनके स्कूल में केवल 2 शिक्षक हैं मैथ, हिंदी और इंग्लिश का कोई भी शिक्षक स्कूल में नहीं है, जिसके कारण विद्यार्थियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। दीपिका का कहना है कि यदि उनकी पढ़ाई समय पर पूरी न हो पाई तो वह फेल हो जाएंगे जिसके कारण उनका 1 साल भी खराब हो जाएगा। एक अन्य छात्रा प्रीति ने कहा कि सरकार वैसे तो बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा देकर सशक्तीकरण का दावा करती है । लेकिन उनके स्कूल में केवल 2 शिक्षक हैं । जिनके सहारे पूरा स्कूल चल रहा है, छात्रा ने सरकार से शिक्षकों की कमी को पूरा करने की गुहार लगाई है। यदि सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना तो मजबूरन उन्हें आंदोलन करना पड़ेगा।

अभिभावक बोले- है शिक्षकों की कमी

Demonstration For Basic Facilities In The School
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स्कूल में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के अभिभावक सुनीता, संतोष का कहना है कि स्कूल में शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों को दूसरे गांव में जाकर पढ़ाई करने के लिए जाना पड़ता है, जिससे उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गांव के स्कूल में न तो सफाई व्यवस्था ठीक है और ना ही पीने के पानी आदि की व्यवस्था सही से चल पा रही है। अभिभावकों का कहना है कि आधारभूत सुविधाओं की कमी के कारण स्कूल में पढ़ने वाले उनके बच्चों को न केवल भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है , बल्कि उनकी पढ़ाई भी बाधित हो रही है। स्कूली बच्चों के अभिभावकों ने सरकार से स्कूल की हालत ठीक करने की गुहार लगाई है।

ट्रांसफर पॉलिसी के कारण दिक्कत

स्कूल के क्लर्क गुलाब सिंह ने बताया कि सरकार की तरफ से 2022 में ट्रांसफर पॉलिसी आई थी, जिसके चलते स्कूल के कई अध्यापकों की ट्रांसफर हो गई थी। लेकिन किसी अध्यापक की वापस स्कूल में पोस्टिंग अब तक नहीं की गई है। अब इस स्कूल में केवल 2 अध्यापक हैं, एक हेड मास्टर तो दूसरे संस्कृत के अध्यापक हैं। स्कूल में साइंस की पोस्ट को खत्म कर दिया गया है और मैथ को ऐड करने की बात कही गई थी, लेकिन वह भी अभी अधर में लटकी है। गांव पिचोलिया के छात्र-छात्राओं तथा उनके अभिभावकों में सल की हालत को लेकर काफी रोष है।

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