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Demonstrated Anganwadi Workers in Jind: आंगनवाड़ी वर्कर एंड हैल्पर्स यूनियन के आह्वान पर वर्कर्स ने मांगों को लेकर प्रदर्शन किया और सरकार का पुतला फूंक कर रोष व्यक्त किया। प्रदर्शन से पहले वर्करों ने ग्रीन बेल्ट के सामने पार्क में अपना धरना जारी रखा। धरने की अध्यक्षता सुदेश देवी व संचालन जिला सचिव सुमन देवी ने किया।
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बैठक में मुख्यमंत्री से मिले केवल आश्वासन Demonstrated Anganwadi Workers in Jind
जिला सचिव सुमन देवी ने कहा कि गत 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री मनोहरलाल के साथ हुई बैठक में उन्हें केवल आश्वासन मिले हैं। हरियाणा सरकार 2018 में केंद्र सरकार द्वारा की गई घोषणा को लागू नहीं कर रही है। केंद्र व राज्य सरकार 45वें श्रम सम्मेलन की रिपोर्ट को लागू नही कर रही हैं जिसमें आंगनबाडी कर्मियों को स्थायी कर्मचारी मानने व न्यूनतम वेतन लागू करने के लिए कहा गया है।
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मांगें पूरी न होने तक जारी रहेगा आंदोलन Demonstrated Anganwadi Workers in Jind
आॅनलाइन पर काम ओर पोषण ट्रेक पर रोक लगाने व पहले की तरह आॉफ लाइन ही काम करेगी। उन्होंने मांग की कि आंगनवाड़ी वर्कर्स वह हैल्पर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए जब तक कर्मचारी नहीं बनाया जाता तब तक न्यूनतम वेतन 24 हजार रुपये लागू किया जाए।
2018 में की गई घोषणाओं को लागू करते हुए महंगाई भत्ते की तमाम किश्त मानदेय में जोड़ कर दी जाए। महंगाई भते का बकाया ऐरियर भी तुरंत दिया जाए। हैल्पर के पदनाम को बदला जाए। विभाग द्वारा बिना फोन व अन्य संसाधन दिए वर्कर्स पर आॅनलाइन काम का दबाव बनाना बंद किया जाए व इस बारे माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना न की जाए।
प्रधानमंत्री द्वारा सिंतबर 2018 में की गई वर्कर्स व हैल्पर्स की 1500 एवं 750 रुपये की बढ़ोत्तरी को ऐरियर समेत दिया जाए। रिटायरमैंट पैंशन लागू की जाए। आंगनवाड़ी वर्कर से सुपरवाइजर के रूप में 50 प्रतिशत की पदोन्न्ति को तुंरत लागू किया जाए। आंगनवाड़ी केंद्रों का बढ़ा किराया दिया जाए। आंगनवाड़ी वर्कर्स व हैल्पर्स को किसी भी विभागीय ट्रेनिंग या मीटिंग में बुलाने पर टीए व डीए दिया जाए।
आंगनवाड़ी वर्कर व हैल्पर को दुर्घटना होने पर इलाज का पूरा खर्च व मृत्यु होने पर अन्य विभागों की तर्ज पर तीन लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। वर्कर्स व हैल्पर्स की वर्दी की राशि बढ़े व सालाना कम से कम 1600 रुपये की जाए। नई शिक्षा नीति वापस हो। प्ले वे स्कूल के नाम पर आईसीडीएस का निजीकरण ना किया जाए। आंगनवाड़ी वर्करों पर बनाए गए मुकद्में वापस हों।
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