Haryana News : चंडीगढ़। हरियाणा (Haryana) के लिए अलग राजधानी (capital) और हाई कोर्ट (high court) की मांगा कस्बों और ग्रामीण इलाकों में भी बुलंद हो रही है। कलायत (kalayat) के प्रबुद्ध नागरिकों ने भी हरियाणा प्रदेश की अपनी अलग राजधानी व अपना अलग हाई कोर्ट की मुहीम से जुड़कर समर्थन दिया है और अलग राजधानी और अलग हाई कोर्ट लेने तक मुहिम को चलाने का संकल्प भी लोगों ने लिया।
इसी कड़ी में कलायत के आईटीआई चौक (ITI Chowk) के पास वर्मा पैलेस (Verma Palace) में कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता सुभाष कुंडू ने की तथा मंच संचालन श्रद्धानंद राजलीवाला ने किया।
अभियान को अप्रत्याक्षित समर्थन जनप्रतिनिधियों व विभिन्न किसान व सामाजिक संगठनों से मिला। कार्यक्रम के संयोजक सुभाष कुंडू ने कहा कि राजधानी और अलग हाई कोर्ट हरियाणा प्रदेश व लोगों का वाजिब हक है और यह मिलना ही चाहिए। स्वतंत्र राजधानी के बिना प्रदेश की अपनी पहचान नहीं हो सकती और अलग हाई कोर्ट के बगैर त्वरित न्याय की कल्पना नहीं की जा सकती।
कार्यक्रम की संयोजक एवं कार्यक्रम के मुख्य वक्ता बिमला चौधरी ने हरियाणा प्रदेश की अलग राजधानी अलग हाई कोर्ट ने कहा कि हरियाणा कि अधिकतर बार एसोसिएशनों (bar Association) ने इस अभियान का समर्थन कर चुकी हैं और समर्थन के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं व अन्य सामाजिक संगठन भी इस अभियान में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं।
बिमला चौधरी ने कहा कि हरियाणा को पंजाब (Punjab) से अलग हुए अब तक 57 वर्ष हो गए हैं लेकिन हरियाणा को अलग से राजधानी और हाई कोर्ट नहीं मिला। संयुक्त पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ (Chandigarh) को केंद्र शासित (Union Territory) घोषित कर दोनों राज्यों की सांझी राजधानी बना दिया गया।
हरियाणा को अलग होने के बावजूद भी आज तक पहचान नहीं मिल पाई है। चौधरी ने कहा कि विडंबना इस बात की भी है कि रेलवे स्टेशन (railway station) पंचकूला (panchkula) बनाया गया है और पूरी दुनिया के नक्शे पर इसे चंडीगढ़ का रेलवे स्टेशन कहा जाता है।
इसी तरह एयरपोर्ट (airport) के लिए हरियाणा का योगदान भी है लेकिन इसे मोहाली (mohali) का एयरपोर्ट कहा जाता है। मांग के समर्थन में बिमला चौधरी ने कहा कि हरियाणा का अलग हाई कोर्ट नहीं होने के कारण हरियाणा के जजों को टाइम पर प्रमोशन भी नहीं मिल पाता है।
बिमला चौधरी ने कहा कि अलग राजधानी और अलग हाई कोर्ट हरियाणा प्रदेश की जनता का हक है और यह हक मिलना चाहिए। प्रदेश की राजधानी चाहे सरकार जहां भी बनाए वह उनकी शान होगी।
अलग हाई कोर्ट बनेगा तो लोगों को समय उनको न्याय मिलेगा। प्रदेश की अलग राजधानी अलग हाई कोर्ट के महत्व पर जरूर पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि हरियाणा की 1966 में सदियों बाद हरियाणा क्षेत्र को पूर्ण प्रशासनिक इकाई के रूप में मान्यता मिली।
इसी समय हिमाचल प्रदेश (himachal pradesh) का गठन हुआ था परंतु हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक चिंतकों ने परिपक्व दूर दृष्टि का परिचय देते हुए अपनी अलग राजधानी और हाई कोर्ट बनाकर अपने प्रदेश का एक अलग पहचान और पूर्णतया प्रदान कर ली।
उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों ने एक स्वर में मजबूती से हरियाणा की नई राजधानी और अलग-अलग हाई कोर्ट की जोरदार मांग उठाई गई। उन्होंने कहा कि हरियाणा को पंजाब से अलग हुए बेशक 57 वर्ष हो गए हैं लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूर्ण स्वायत्त राज्य का दर्जा अब तक नहीं मिल सका है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करने के लिए समाज के अन्य वर्गों से भी शामिल किया जा रहा है और प्रदेश के जिला, सब-डिवीजन, तहसील तथा ब्लाक स्तर पर संगठन व बुद्धिजीवी लोगों ने इस अभियान का अहम हिस्सा बन रहे हैं।
उन्होंने कहा क्या भले ही वे अलग राजधानी और अलग हाई कोर्ट की मांग कर रहे हैं लेकिन चंडीगढ़ पर हरियाणा का हक नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा देश का एकमात्र राज्य है जिसकी अपनी राजधानी नहीं है और अन्य प्रदेशों के विपरीत यहां राज भाषा चंडीगढ़ का प्रयोग किया जाता है।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को प्रमुखता से उठते और केंद्र व प्रदेश सरकार पर दबाव बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों को साथ लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के अनेक अधिवक्ता हरियाणा-पंजाब के अलग बार काउंसिल (bar council) की प्रमुखता से मांग उठा रहे हैं।
कार्यक्रम के सहसंयोजक अधिवक्ता रणधीर सिंह ने कहा कि किसी भी प्रदेश की पहले पहचान उसकी राजधानी होता है। कार्यक्रम को गुरनाम सिंह, शक्ति सिंह, दिनेश कंडेला सहित अनेक लोगों ने संबोधित किया और मुद्दे का समर्थन करते हुए मांग मंगवाने तक अभियान जारी रखने का संकल्प लिया। Haryana News
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