Delhi’s pollution causes chaos across the country: दिल्ली के प्रदूषण से देशभर में कोहराम

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देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ती ठंड के साथ प्रदूषण की गर्मी ने चारों तरफ कोहराम मचा रखा है। हवा की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है। यहाँ बढ़ते प्रदूषण और जहरीली हवा ने न केवल दिल्ली वालों का अपितु समूचे देश का जीना हराम कर रखा है। दिल्ली में प्रतिदिन देश के विभिन्न राज्यों से लाखों लोगों का आवागमन होता है। ये लोग अपने राज्यों को लौटते समय प्रदूषण जनित बीमारियों को भी अपने साथ ले जाते है जिससे पूरे देश का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। जिम्मेदार नहीं चेते तो देशभर में करोड़ों लोग प्रदूषण के शिकार हो जाएंगे।दुनिया के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में शुमार दिल्ली-एनसीआर पिछले एक सप्ताह से गैस चैंबर बना हुआ है। केंद्र और राज्य सरकारें इस समस्या से निपटने में नाकाम साबित हुई है। दूसरी तरफ दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर शहरी विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति की बैठक में राजनेताओं और अधिकारियों की अनुपस्थिति यह जाहिर करती है की वे जनता को राहत देने के कार्य में कतई गंभीर नहीं है। इस समिति में कुल 31 सांसद नामित है जिनमें से सिर्फ चार हाजिर हुए। लगता है सुप्रीम कोर्ट की यह चेतावनी सत्य साबित हो रही है की जनता को मरने के लिए छोड़ दिया गया है। कोर्ट ने साफतौर पर चेताया था कि लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। मगर अधिकारियों और नेताओं की कारगुजारी से तो यही लगता है कि वे इस प्राणलेवा समस्या के प्रति गंभीर नहीं है। लोगों को इस समस्या से निपटने के लिए भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।
दिल्ली के साथ एनसीआर और आसपास के इलाकों में बढ़ते वायु प्रदूषण से लोगों का बुरा हाल है। प्रदूषण का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हवा अभी भी जहरीली बनी हुई है। आलम यह है कि लोगों को सांस लेने में तकलीफ, गले में खराब और आंखों में जलन की आम समस्या हो गई है। प्रदूषण की वजह से अस्पतालों में श्वास और दमा के मरीज बढ़ गये हैं। अस्पताल में आने वाले लोगों को सांस लेने में परेशानी, आंखों में जलन, सिर दर्द जैसी शिकायतें हैं। यहां अभी भी वायु गुणवत्ता सूचकांक अत्यंत गंभीर स्तर पर है। इसके साथ ही उत्तर भारत के कई प्रमुख शहरों में भी प्रदूषण उच्च स्तर पर बना हुआ है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए केंद्र को निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार दिल्ली में एयर प्यूरीफाइंग टॉवर लगाने का खाका तैयार करे। कोर्ट ने इस समस्या से निपटने के लिए दिल्ली के सबसे प्रदूषित इलाकों में चीन की तरह बड़ी क्षमता वाले एयर फ्यूरीफायर लगाने का रोडमैप मांगा है। आदेश के बावजूद पराली जलना बंद न होने से नाराज अदालत ने पड़ोसी राज्य यूपी, हरियाणा और पंजाब के मुख्य सचिवों को भी तलब किया है सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि एयर इंडेक्स 600 के ऊपर है, आखिर लोग सांस कैसे लें? आॅड-ईवन स्कीम पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण से निपटने का यह स्थाई समाधान नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि आॅड-ईवन योजना आधी-अधूरी है और इस पर अमल अधकचरा है। सिर्फ प्राइवेट कारों पर बंदिश से असर लोअर मिडल क्लास पर ही होता है, क्योंकि अमीरों के पास तमाम (आॅड और ईवन) नंबरों की कारें होती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार देश में 90 प्रतिशत जनसँख्या प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर है। विशेषज्ञों के अनुसार विश्व के 30 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में 20 से अधिक भारत में हैं। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण ने यहां के लोगों की उम्र 10 साल कम कर दी है। पूरे उत्तर भारत में उम्र औसतन 7 साल कम हुई है। यह दावा शिकागो यूनिवर्सिटी की शोध संस्था एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट एट द यूनिवर्सिटी आॅफ शिकागो ने अपने विश्लेषण के जरिए किया है।
एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कमजोर दिल वालों के लिए वायु प्रदूषण नुकसानदायक साबित हो रहा है। वायु प्रदूषण दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों की जान भी ले सकता है। एक नये अध्ययन के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से इंसानों में गुर्दे की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है और गुर्दे खराब भी हो सकते हैं। प्रदूषण पर आई एक ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतें सबसे तेज रफ्तार से बढ़ रही हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत में प्रदूषण के कारण हर दिन करीब 150 लोग मर जाते हैं और हजारों लोग फेफड़े और हृदय की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। विभिन्न ग्लोबल एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के खतरे से बार बार आगाह करने के बावजूद न सरकार चेती है और न ही नागरिक। लगता है लोगों ने इस जान लेवा खतरे को गैर जरूरी मान लिया है। आश्चर्य की बात है इस वैश्विक सूची के टॉप 20 शहर भारत के है। इसका मतलब बिलकुल साफ है वायु प्रदूषण ने भारत को अपने पंजे में मजबूती से जकड रखा है। भारत की आबोहवा निरंतर जहरीली होती जा रही है। हर वर्ष लाखों लोग अकाल मौतों के शिकार हो रहे है साथ ही विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ रहे है। इस बड़े खतरे से लापरवाही का परिणाम है।

-बाल मुकुंद ओझा